सियोल: उत्तर कोरिया ने सोमवार सुबह पूर्वी तट से छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया। देश ने पिछले तीन सप्ताह में तीसरी मिसाइल का परीक्षण किया है। दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ (JCS) की ओर से जारी बयान के मुताबिक, इस मिसइल को स्कड शैली की मिसाइल माना जा रहा है। इसे कांगवोन प्रांत के वोनसान के पास से कोरियाई प्रायद्वीप की ओर दागा गया।
दक्षिण कोरिया और जापान ने तुरंत इस परीक्षण का विरोध किया। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इस परीक्षण पर सख्त कदम उठाने का वादा किया है। दक्षिण कोरिया के रक्षा प्रमुखों का कहना है कि उत्तर कोरिया पर कड़ा दंड लगाया जाएगा। समाचार एजेंसी योनहाप के मुताबिक, मिसाइल ने अनुमानित रूप से 248 मील (लगभग 400 किलोमीटर) का सफर तय किया और यह जापान के विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में जा गिरा।
जापान के चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी योशीहिदे सुगा ने कहा, "मिसाइल 200 समुद्री मील की तफ्तार से जापानी तट पर जा गिरी, जो विमानों और जहाजों की सुरक्षा को देखते हुए बहुत ही समस्याएं पैदा करने वाली हरकत थी।"जापान सरकार के मुताबिक, यह परीक्षण संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावना का स्पष्ट उल्लंघन है। उत्तर कोरिया द्वारा बार-बार की जा रही उकसावे की गतिविधियां स्वीकार्य नहीं है।"जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे का कहना है कि उन्होंने इस मिसाइल परीक्षण को लेकर उत्तर कोरिया के समक्ष विरोध दर्ज कराया है और देश अमेरिका के साथ मिलकर कदम उठाएगा।
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन ने इस परीक्षण की निंदा करते हुए उत्तर कोरिया के साथ चर्चा करने की वकालत की। मून ने मई की शुरुआत में ही राष्ट्रपति पद संभाला था दक्षिण कोरिया के विदेश मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, "यह परीक्षण न सिर्फ कोरियाई प्रायद्वीप की शांति और स्थिरता के लिए खतरा है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए भी खतरा है।"
व्हाइट हाउस अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी प्रशांत कमान का कहना है कि मिसाइल को सिर्फ छह मिनट के लिए ही ट्रैक किया जा सका और इसके बाद यह पूर्वी सागर में जा गिरी। राष्ट्रपति ट्रंप को भी उत्तर कोरिया के इस उकसावे वाले कृत्य से सूचित कर दिया गया है।