बीजिंग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच गत सप्ताह हैम्बर्ग में जी-20 सम्मेलन के इतर हुई बातचीत को चीन ने स्वीकार करने से सोमवार को इनकार कर दिया और इस बात पर जोर दिया कि दोनों नेताओं के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई। भारत ने भी बातचीत को कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं बताया है जिसमें दोनों ने हाथ मिलाया था लेकिन कहा है कि दोनों नेताओं के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। भारतीय पक्ष ने कहा है कि बातचीत 5 मिनट चली। पत्रकारों के इन सवालों पर कि चीन इस बातचीत को किस तरह से देखता है, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने बार-बार केवल यही दोहराया कि कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘मेरी सूचना के अनुसार दोनों नेताओं के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई।’ (पढ़ें ब्लॉग: कश्मीर में घुसने की चीनी थिंक टैंक की धमकी पर हंसी आती है)
उन्होंने कहा, ‘जी-20 के इतर राष्ट्रपति शी ने ब्रिक्स नेताओं की अनौपचारिक बैठक की भी अध्यक्षता की। प्रधानमंत्री मोदी एवं ब्रिक्स देशों के अन्य नेताओं ने उसमें हिस्सा लिया।’ फिर से यह पूछे जाने पर कि क्या बैठक बिल्कुल भी नहीं हुई, उन्होंने कहा, ‘मेरा जवाब यह है कि भारत और चीन के प्रमुखों ने हैम्बर्ग में जी-20 सम्मेलन के इतर कोई बैठक नहीं की।’ चीन का तय शब्दों पर जोर देना और उससे डिगने से इनकार करने का उद्देश्य परोक्ष रूप से अपने उस रुख को दोहराना है जो उसने हैम्बर्ग बैठक से पहले स्पष्ट किया था। चीन ने सम्मेलन से पहले कहा था कि सिक्किम सेक्टर के डोकलाम क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध के चलते दोनों नेताओं के बीच बैठक के लिए माहौल सही नहीं है जहां भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों द्वारा किये जा रहे सड़क निर्माण रोक दिया था। चीन कह रहा है कि भारत क्षेत्र से अपने सैनिकों को तत्काल पीछे हटाए।
प्रवक्ता से भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से ट्वीट की गई उस तस्वीर के बारे में पूछा गया जिसमें दोनों नेताओं को द्विभाषियों के साथ बातचीत करते दिखाया गया था, यद्यपि गेंग अपने रुख पर अड़े रहे। उन्होंने कहा, ‘जैसा कि मैंने कई बार कहा, भारत और चीन दोनों देशों के नेताओं ने कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं की। लेकिन राष्ट्रपति शी ने ब्रिक्स की अनौपचारिक बैठक की अध्यक्षता की जिसमें प्रधानमंत्री मोदी भी मौजूद थे।’ यह पूछे जाने पर कि क्या डोकलाम में गतिरोध पर भी चर्चा की गई, गेंग ने कहा, ‘सीमा मुद्दे पर हम इसकी फिर से पुष्टि करते हैं कि भारतीय पक्ष को अपने सीमा बलों को भारतीय हिस्से की ओर वापस हटा लेना चाहिए। हम मांग करते हैं कि भारतीय पक्ष अपने सीमा बलों को सीमा के भारतीय हिस्से में वापस ले। किसी भी सार्थक बातचीत के लिए यह पहली शर्त है।’