काठमांडू: तस्वीरों से छेड़छाड़ कर कथित तौर पर एवरेस्ट की चढ़ाई का फर्जी दावा करने वाले भारतीय दंपति के पर्वतारोहण पर लगे एक दशक के प्रतिबंध के मामले में नेपाल ने फिर से जांच शुरू की है। मीडिया में आई रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय दंपति द्वारा उनके शिखर सर्टीफिकेट को फिर से जारी करने के लिए दिए गए आवेदन के बाद ऐसा किया गया है।
पुलिस कांस्टेबल दंपति दिनेश और तारकेश्वरी राठौर को पुणे पुलिस ने पिछले साल अगस्त में बर्खास्त कर दिया था। उन्होंने पिछले साल मई में माउंट एवरेस्ट शिखर पर चढ़ने का झूठा दावा किया था। महाराष्ट्र पुलिस की तथ्य अन्वेषी समिति द्वारा की गयी जांच के बाद यह कार्रवाई की गई थी। दंपत्ति की तस्वीरों की जांच पुणे, साइबर फोरेंसिक लैब द्वारा की गई और इसे फर्जी पाया गया। समिति ने पाया कि उनके दावे भ्रामक और फर्जी हैं और इस बात की पुष्टि हुई कि उन्होंने अपनी चढ़ाई के बारे में गलत जानकारी दी थी।
नेपाल सरकार ने पिछले साल दिनेश और तारकेश्वरी के पर्वतारोहण पर 10 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। दिनेश और तारकेश्वरी ने सार्वजनिक तौर पर दावा किया कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले वे पहले भारतीय दंपति हैं। अपने दावे को पुख्ता करने के लिए दोनों ने नेपाल में 5 जून 2016 को एक प्रेस कान्फ्रेंस भी की थी। इस दौरान उन्होंने एवरेस्ट अभियान से जुड़े कई फोटोज और सर्टिफिकेट भी पेश किए थे। हालांकि स्थानीय पर्वतारोहियों का कहना था कि वे कभी एवरेस्ट पर गए ही नहीं और फर्जी तस्वीरों के जरिए ऐसा दावा कर रहे हैं।