नई दिल्ली: नेपाल के सियासी संकट के बीच चीन की राजदूत हाउ यांकी नाम बेहद चर्चा में है। हाउ यांकी केपी ओली सरकार को बचाने में लगी हुई हैं और इसके लिए वो एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं। हाउ यांकी सुबह से लेकर रात तक नेपाल की कम्यूनिस्ट पार्टी के नेताओं से मुलाकात कर रही हैं। हाउ यांकी ने 5 जुलाई को राष्ट्रपति बिद्या भंडारी से भी मुलाकात की थी।
हाउ यांकी केपी ओली की बेहद करीबी
चीनी राजदूत हाउ यांकी को केपी ओली का बेहद करीबी माना जाता है। इससे पहले भी जब अप्रैल और मई में नेपाल की कम्यूनिस्ट पार्टी में दरार पैदा हुई थी तो उन्होंने ही मामले के शांत कराया था लेकिन नेपाल में राजनीतिक उठा-पठक क्यों तेज हो गई है उसे समझना भी बेहद जरूरी है।
चीन के इशारे पर नेपाल ने बदला अपना नक्शा
दरअसल चीन के इशारे पर ही नेपाल ने अपना नक्शा बदला और तीन इलाकों पर अपना दावा जताया। इसके बाद उन्हीं की पार्टी के नेता और पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड ने ओली से इस्तीफा मांगा । केपी ओली पर चीन के प्रभाव में सरकार चलाने का आरोप है और कोविड-19 के दौरान नेपाल में खराब फैसलों की वजह से भी केपी ओली का विरोध बढ़ा है।
इंडियन मीडिया पर लगा बैन
नेपाल में वहां की नई महारानी यानी हाउ यांकी के बढ़ते दखल को भारत की मीडिया ने प्रमुखता से दिखाया था लेकिन चीनी प्रोपेगेंडा की पोल खुलने के डर की वजह से इंडियन मीडिया पर बैन लगा दिया गया। आमतौर पर देश की राजनीति में दूसरे देश के राजदूत का दखल नहीं होता लेकिन जिस तरह से नेपाल में चीन ने सक्रियता बढ़ाई है, उस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।