ढाका: अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं से आंग सान सू की के घिरते जाने के बीच संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को कहा कि म्यांमार में 25 अगस्त से हिंसा फैलने के बाद से वहां से कुल 87,000 रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश पहुंचे हैं। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी ने बताया कि 81 हजार आव्रजक फिलहाल अस्थाई आश्रयों में रह रहे हैं और बाकी 6,000 अपने परिजनों के साथ कॉक्स बाजार जिले के स्थाई शरणार्थी शिविरों में हैं। हजारों का अभी भी बांग्लादेश सीमा पर पहुंचना जारी है, जिनमें से कुछ बंदूक की गोली से घायल हुए हैं। म्यांमार के उत्तरी पश्चिमी रखाइन प्रांत में सांप्रदयिक हिंसा के कारण यह लोग पलायन करने को मजबूर हुए हैं।
25 अगस्त को म्यांमार सेना ने अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) के 100 से ज्यादा विद्रोहियों द्वारा कई पुलिस चौकियों पर हमला करने के बाद एक ऑपरेशन चलाया हुआ है। इस हमले के दौरान और इसके बाद सरकार की प्रतिक्रिया में बहुत बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं, जिनमें से ज्यादातर रोहिंग्या हैं। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने म्यांमार सेना द्वारा कथित तौर पर मानव अधिकारों के उल्लंघन और लोगों की हत्याओं का आरोप लगाया है। संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार सेना द्वारा की गई हिंसा की रिपोर्ट पर गहरा दुख जाहिर किया है और मानवीय संकट को रोकने के लिए शांति बनाए रखने की अपील की है।
अक्टूबर 2016 में भी विद्रोहियों के समूह द्वारा सीमावर्ती चौकियों पर इसी तरह के हमले के बाद सेना द्वारा की गई कथित कार्रवाई के बीच कम से कम 70 हजार रोहिंग्या रखाइन से भाग निकले थे। राखिन प्रांत में दस लाख से ज्यादा मुस्लिम रोहिंग्या रहते हैं, जहां वे बड़े पैमाने पर भेदभाव का सामना कर रहे हैं। 3 से 5 लाख के बीच रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे है, जिनमें से केवल 32 हजार को ही शरणार्थी का दर्जा प्राप्त है। म्यांमार रोहिग्या लोगों को अपना नागरिक नहीं मानता जबकि बांग्लादेश का कहना है कि इन लोगों का संबंध म्यांमार से है।