लाहौर: पाकिस्तान के रेलमंत्री शेख राशिद ने शनिवार को दावा किया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ वर्ष 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण के जवाब में परमाणु परीक्षण करने के खिलाफ थे। उन्होंने कहा, ‘शरीफ और उनका लगभग पूरा मंत्रिमंडल (1998 में) भारत के जवाब में परमाणु परीक्षण करने के खिलाफ था। राजा जफरुल हक, गौहर आयूब और मैं परमाणु परीक्षण करने के पक्ष में थे।’ बता दें कि राशिद 1998 में शरीफ मंत्रिमंडल के सदस्य थे।
राशिद से जब पूछा गया कि 28 मई 1998 में अगर शरीफ के आदेश पर परमाणु परीक्षण नहीं हुआ तो आखिर किसके आदेश पर हुआ? इस पर राशिद ने परोक्ष रूप से सेना की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय गोपनीयता है और इसे गोपनीय ही रहने दें। जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तान ने जब परमाणु परीक्षण किया तब वह विदेश क्यों चले गए? इसके जवाब में राशिद ने कहा, ‘मैं विशेष ड्यूटी पर विदेश गया था।’ राशिद को पाकिस्तानी सत्ता का करीबी माना जाता है और विपक्षी उन्हें उसका प्रवक्ता बताते हैं।
रेलमंत्री के दावे को खारिज करते हुए पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के वरिष्ठ नेता राणा सनाउल्लाह ने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद 1998 में परमाणु परीक्षण किया। उन्होंने कहा कि यह प्रमाणित पाला बदलने वाले नवाज शरीफ से परमाणु परीक्षण का श्रेय नहीं ले सकते हैं।
शरीफ के छोटे भाई और PML-N के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ ने कहा, ‘भारत द्वारा 1998 में परमाणु परीक्षण करने के बाद नवाज शरीफ ने सैन्य नेतृत्व को उसी की भाषा में भारत को जवाब देने को कहा था। नवाज शरीफ ने न तो विशाल आर्थिक पैकेज को स्वीकार किया और न ही अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुके।’ शाहबाज शरीफ ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के दिवंगत नेता जुल्फिकार भुट्टो ने परमाणु कार्यक्रम शुरू किया था।
गौरतलब है कि शरीफ के दूसरे कार्यकाल में (1998 में) पाकिस्तान ने दूसरी बार परमाणु परीक्षण किया था। वर्ष 2018 में भ्रष्टाचार के मामले में शरीफ को दोषी करार दिया गया और कारावास की सजा सुनाई गई। इस समय वह लंदन में इलाज करवा रहे हैं।