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म्यांमार में हो सकती है बड़ी हिंसा, संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ ने किया आगाह

 संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार मामलों के एक विशेषज्ञ ने म्यांमार में तख्तापलट के विरोध में बड़े प्रदर्शनों के बीच देश में बड़ी हिंसा की आशंका को लेकर आगाह किया है। संयुक्त राष्ट्र के दूत टॉम एंड्र्यू ने कहा कि उन्हें यंगून में सैनिकों को भेजे जाने की खबरें मिली हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : February 17, 2021 12:06 IST
म्यांमार में हो सकती है बड़ी हिंसा, संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ ने किया आगाह
Image Source : AP/PTI म्यांमार में हो सकती है बड़ी हिंसा, संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ ने किया आगाह

यंगून: संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार मामलों के एक विशेषज्ञ ने म्यांमार में तख्तापलट के विरोध में बड़े प्रदर्शनों के बीच देश में बड़ी हिंसा की आशंका को लेकर आगाह किया है। संयुक्त राष्ट्र के दूत टॉम एंड्र्यू ने कहा कि उन्हें यंगून में सैनिकों को भेजे जाने की खबरें मिली हैं। जिनेवा में एंड्रुयू के कार्यालय की ओर से जारी बयान में उन्होंने कहा, ‘‘ पहले भी, ऐसी सैन्य कार्रवाईयों में बड़े स्तर पर लोगों की जान गई हैं, लोग गायब हुए हैं या उन्हें हिरासत में लिया गया है।’’ एंड्रूयू ने कहा कि व्यापक स्तर पर प्रदर्शन और सैनिकों की तैनाती के मद्देनजर उन्हें डर है कि ‘‘हम म्यांमा के लोगों के खिलाफ सेना की क्रूर कार्रवाई देख सकते हैं।’’

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सेना और पुलिस की हिंसक कार्रवाइयों की आशंका के बीच देश में बुधवार को व्यापक स्तर पर प्रदर्शन होने वाले हैं। गौरतलब है कि यंगून और अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों के समूह एक फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के खिलाफ एवं देश की निर्वाचित नेता आंग सान सू की एवं उनकी अपदस्थ सरकार के सदस्यों की हिरासत से रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। देश में हुए सैन्य तख्तापलट ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्तब्ध कर दिया। तब से सैन्य शासन ने प्रदर्शनकारियों पर दबाव बढ़ाया है जिनमें कुछ प्रदर्शनों पर बल प्रयोग करना और इंटरनेट सेवाएं निलंबित करना आदि कदम शामिल हैं। 

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आंग सान सू की पर नया आरोप दर्ज 

म्यांमा में पुलिस ने अपदस्थ नेता आंग सान सू की के खिलाफ एक नया आरोप दर्ज किया है, जिसके आधार पर उन्हें बगैर मुकदमे के अनिश्चित काल तक हिरासत में रखा जा सकता है। उनके वकील ने मंगलवार को यह जानकारी दी। राजधानी नेपीता में एक न्यायाधीश से मुलाकात के बाद वकील खिन माउंग जाउ ने संवाददाताओं से कहा कि सू की पर प्राकृतिक आपदा प्रबंधन कानून की धारा 25 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है, जिसका इस्तेमाल कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने को लेकर लागू पांबंदियों को तोड़ने वाले लोगों के विरूद्ध मुकदमा चलाने के लिए किया जाता है। सू की को एक फरवरी को सैन्य तख्तापलट के तहत अपदस्थ कर दिया गया और हिरासत में ले लिया गया। वह अवैध रूप से वाकी-टाकी रखने के आरोप का सामना कर रही हैं। 

कोविड-19 पाबंदियों के उल्लंघन को लेकर अधिकतम तीन साल की कैद की सजा का प्रावधान है। हालांकि, नये आरोप के तहत उन्हें बगैर मुकदमे के अनिश्चितकाल तक हिरासत में रखा जा सकता है क्योंकि क्योंकि पिछले हफ्ते सैन्य शासन ने दंड संहिता में बदलाव किया है, जो अदालत की अनुमति के बगैर हिरासत में रखने का प्रावधान करता है। म्यांमा में सेना के सत्ता पर कब्जा करने के दो हफ्तों बाद यह कानूनी घटनाक्रम हुआ है। देश में हुए सैन्य तख्तापलट ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्तब्ध कर दिया। तब से सैन्य शासन ने प्रदर्शनकारियों पर दबाव बढ़ाया है जिनमें कुछ प्रदर्शनों पर बल प्रयोग करना और इंटरनेट सेवाएं निलंबित करना आदि कदम शामिल हैं। 

तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन
सुरक्षा बलों से प्रदर्शनकारियों की झड़प के एक दिन बाद सैन्य तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन मंगलवार को फिर शुरू हो गए। इस बीच, सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात में भी प्रशासन ने इंटरनेट सेवा बंद रखी। यांगून और अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों के समूहों ने एक फरवरी के सैन्य तख्तापलट के खिलाफ एवं देश की निर्वाचित नेता आंग सान सू ची एवं उनकी अपदस्थ सरकार के सदस्यों को हिरासत से रिहा की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। शहर में पुलिस ने सेंट्रल बैंक के सामने की सड़क बंद कर दी। प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया पर सेना द्वारा उनके पैसे जब्त करने की मंशा संबंधी कयासों के बाद निशाना बनाया था। बौद्ध भिक्षुओं ने संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पांच या इससे अधिक लोगों के साथ स्थान पर जमा होने पर लगी रोक का भी उल्लंघन किया। देश के दूसरे सबसे बड़े शहर मैंडाले में करीब 3,000 प्रदर्शनकारी दोबारा सड़कों पर उतरे। उनमें से अधिकतर विद्यार्थी थे। उनके हाथों में सू ची की तस्वीर भी और वे लोकतंत्र की बहाली के लिए नारेबाजी कर रहे थे।

इनपुट-भाषा

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