ढाका: म्यांमार के अधिकारियों ने दर्जनों बांग्लादेशी बौद्ध आदिवासी परिवारों को सीमा पार कर रोहिंग्या मुसलमानों की जमीन पर आकर बस जाने का प्रलोभन दिया है। बांग्लादेश के सुदूरवर्ती पहाड़ी और वन क्षेत्रों से तकरीबन 50 परिवार मुफ्त जमीन और भोजनकी पेशकश से आकर्षित होकर म्यांमार के राखाइन प्रांत चले गए हैं। राखाइन प्रांत में म्यांमार की सेना ने बर्बर कार्रवाई की थी, जिसके बाद हजारों रोहिंग्या वहां से भाग गए थे। स्थानीय पार्षद मुइंग स्वी थ्वी ने एएफपी से कहा कि मरमा और म्रो आदिवासी समुदायों के परिवार बंदरबन पहाड़ी जिले में अपना घर छोड़कर चले गए हैं। (अफगानिस्तान के एक हाई स्कूल में लगभग 48 छात्राएं बीमार )
उन्होंने कहा कि 22 परिवार सांगु वन रिजर्व में अपने गांवों चले गए। मुइंग स्वी थ्वी ने बताया कि इन परिवारों में मुख्य रूप से बौद्ध और कुछ ईसाई हैं। उन्हें म्यांमार, राखाइन में बसने का प्रलोभन दिया गया है। वहां उन्हें मुफ्त जमीन, नागरिकता और पांच साल के लिये मुफ्त भोजन दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ वे बर्मा छोड़ चुके रोहिंग्याओं की खाली जमीन को भरने जा रहे हैं।’’ पिछले साल अगस्त से तकरीबन सात लाख रोहिंग्या म्यांमार छोड़ चुके हैं और बांग्लादेश में शरण ली है। अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने रोहिंग्याओं के खिलाफ कार्रवाई को जाति संहार बताया था।