ढाका: म्यांमार ने सोमवार को रोहिंग्या मुसलमानों को वापस लेने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की है। हालांकि बांग्लादेश का कहना है कि पड़ोसी देश को वापसी प्रक्रिया शुरू करने के लिए पहले उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समूह का विश्वास अर्जित करना चाहिए। आपको बता दें कि म्यांमार के एक हाई लेवल डेलिगेशन ने कॉक्स बाजार में रोहिंग्या शिविरों का दौरा किया और उनके प्रतिनिधियों से बात की। म्यांमार पर रोहिंग्या मुसलमानों को वापस लेने और उन्हें नागरिकता के अधिकार देने को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का काफी दबाव है।
19 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले म्यांमार के विदेश मामलों के स्थाई सचिव माइंट थू ने ढाका में कहा, ‘मैंने उनसे (रोहिंग्या से) कहा है कि यह विचार करने का सही समय है कि उन्हें वापस आ जाना चाहिए या नहीं, क्योंकि हमने उनके प्रमुख मुद्दों पर अपना स्पष्टीकरण दिया है। म्यांमार रोहिंग्याओं का (घर वापस आने पर) स्वागत करने के लिए तैयार है, लेकिन केवल एक चीज यह है कि उन्हें (रोहिंग्याओं को) खुद यह फैसला (उनकी वापसी के बारे में) करना होगा।’
वहीं, बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश सचिव कमरुल अहसन ने कहा कि म्यांमार को रोहिंग्याओं के बीच, उनकी स्वैच्छिक वापसी के लिए विश्वास पैदा करना होगा। जब तक उनमें भरोसा पैदा नहीं होगा तब तक वे वापस नहीं जाएंगे। अहसन ने कहा, ‘हम किसी को जबरन वापस नहीं भेज सकते।’ गौरतलब है कि 2017 में रखाइन प्रांत में म्यांमार की सेना की कार्रवाई के बाद करीब 7,40,000 रोहिंग्या वहां से भागकर बांग्लादेश आ गए और कॉक्स बाजार में बने विभिन्न शिविरों में रह रहे हैं।