यंगून: म्यांमार में हुई हालिया हिंसा के दौरान 80 उग्रवादियों समेत 100 से ज्यादा लोगों की मौत होने के बाद सरकार और रोहिंग्या उग्रवादियों ने एक-दूसरे के ऊपर दोष मढ़ा है। म्यांमार की नेता आंग सान सू की ने सोमवार को रोहिंग्या लड़ाकों पर संकटग्रस्त राखिन प्रांत में हालिया हिंसा के दौरान घरों को जलाने और बाल सैनिकों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। हालांकि उग्रवादियों ने सरकार के इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया।
राखिन राज्य में शुक्रवार से एक बार फिर हिंसा तेज हो गई जब उग्रवादियों ने घात लगा कर ताजा हमले किए। हिंसा में 80 उग्रवादियों सहित 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों रोहिंग्या नागरिकों ने समीपवर्ती बांग्लादेश की ओर पलायन किया है। कुछ स्थानीय बौद्धों और हिंदुओं ने अन्य शहरों और मठों में शरण ली है। हालिया दिनों में तेज हुई हिंसा के लिए दोनों पक्ष एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हैं। आरोपों की पुष्टि करना मुश्किल है क्योंकि हिंसा कई ऐसे गांवों में हो रही है जहां पहुंच पाना बहुत मुश्किल है। सू की द्वारा सीधे संचालित सरकारी विभाग स्टेट काउंसेलर्स ऑफिस ने अपने फेसबुक अकाउंट के जरिए कई बयान जारी किए हैं जिनमें उन नागरिकों के तस्वीरें भी हैं जिन्हें उग्रवादियों ने कथित तौर पर गोली मारी।
सोमवार को नवीनतम बयान में कार्यालय ने कहा आतंकी बच्चों को आगे कर सुरक्षा बलों से लड़ रहे हैं तथा अल्यसंख्यक बहुल गांवों में आग लगा रहे हैं। लड़ाई के पीछे मौजूद उग्रवादी समूह अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) ने आज पलटवार करते हुए अपने ट्विटर अकाउंट ARSA ऑफिशियल के माध्यम से आरोप लगाया, ‘रोहिंग्या गांवों पर छापा मारने के दौरान बर्मा के क्रूर सैनिकों के साथ राखिन बौद्ध चरमपंथियों ने रोहिंग्या गांवों पर हमला किया, रोहिंग्याओं की संपत्ति लूट ली और बाद में रोहिंग्याओं के घरों को जला दिया।’