भारत और चीन के बीच डोकलाम पर जारी तनाव के बीच चीन ने एक बार फिर सीधे-सीधे मोदी सरकार को निशाना बनाया है। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार भारत को जंग की ओर धकेल रही है। अख़बार ने दावा किया कि डोकलाम में अगर भारतीय सेना पीछे नहीं हटी तो युद्ध तय है और जंग होने पर नतीजा जगजाहिर है।
कम्यूनिस्ट पार्टी के अखबार के संपादकीय में आरोप लगाया कि मोदी सरकार अपने देश के लोगों से झूठ बोल रही है कि 2017 वाला भारत 1962 से अलग है। पिछले 50 सालों में दोनों देशों की ताकतों में बड़ा अंतर है। अगर मोदी सरकार युद्ध करना चाहती है तो उसे कम से कम लोगों को सच्चाई तो बतानी चाहिए।
अखबार के मुताबिक़ पीएलए ने सैन्य टकराव के लिए पर्याप्त तैयारी की है। अख़बार ने कहा कि मोदी सरकार को पीएलए की ताकत के बारे में पता होना चाहिए। भारतीय सीमा पर तैनात सैनिक पीएलए क्षेत्र बलों के लिए कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं हैं। जंग की सूरत में पीएलए सभी भारतीय सैनिकों को खत्म करने की ताक़त रखती है।
ग़ौरतलब है कि अख़बार का ये संपादकीय ऐसे समय में आया है जब पिछले हफ्ते चीन की तरफ भारत से डोकलाम से तुरंत सेना पीछे करने को कहा गया था। अख़बार ने कहा कि चीन ने संयम का प्रयोग किया है, साथ ही शांति और मानव जीवन के प्रति सम्मान दिखाया है। गत महीने जब भारतीय सैनिकों ने चीनी क्षेत्र का उल्लंघन किया था तब भी चीनी सेना ने शांति से काम लिया था। अगर मोदी सरकार चीन की सद्भावना को कमज़ोरी समझती रही तो यही लापरवाही विनाश की ओर ले जाएगी। भारत खुलेआम उस देश को चुनौती दे रहा है जो ताकत में कहीं ज्यादा बेहतर है। भारत की लापरवाही से चीन हैरान है।
इससे पहले चीन के एक सैन्य विशेषज्ञ ने कहा कि उनका देश डोकलाम से अपने सैनिकों को वापस नहीं हटाएगा क्योंकि अगर वह ऐसा करता है तो भारत को भविष्य में उसके लिए समस्या खड़ी करने का प्रोत्साहन मिलेगा। नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी ऑफ द पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ डिफेंस में सहायक प्राध्यापक यू दोंगशियोम ने कहा कि अगर भारतीय रणनीतिकार और नीति निर्माता यह सोचते हैं कि चीन वापस लौट जाएगा, तो वह गलती कर रहे हैं।
यू दोंगशियोम ने कहा कि भारतीय सैनिकों को बिना शर्त तत्काल वापस हो जाना चाहिए। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ में यू ने लिखा कि बीजिंग डोकलाम से सैनिकों को वापस नहीं बुलाएगा क्योंकि यह क्षेत्र चीन से संबंधित है और ब्रिटेन और चीन के बीच साल 1890 की संधि इस बात का प्रमाण है। उन्होंने कहा, 'अगर चीन अभी पीछे हटता है, तो भारत भविष्य में और अधिक समस्याएं पैदा करने के लिए प्रोत्साहित होगा। बीजिंग और नई दिल्ली के बीच कई सीमाओं पर कई मतभेद हैं, लेकिन डोकलाम इनमें शामिल नहीं है।'
भारत ने कहा है कि अगर चीन अपनी सेना वापस बुलाता है तो वह भी अपने सैनिकों को वहां से हटा लेगा। चीनी विशेषज्ञ ने कहा, 'कुछ भारतीय रणनीतिकार और नीतिकार इस गलतफहमी में हैं कि चीन निहित स्वार्थों, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में अधूरे सुधारों और चीन-अमेरिका रणनीति में भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, यह सोचकर वापस लौट जाएगा।'