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पाकिस्तान में शियाओं के खिलाफ सड़कों पर उतरे सुन्नी, बोले- ये काफिर है, इन्हें जान से मार देंगे

पाकिस्तान के कराची शहर में तहरीक-ए-लबाइक पाकिस्तान (TLP) और अहल-ए-सुन्नत वल जमात (ASWJ) ने अल्पसंख्यक शिया समुदाय के खिलाफ रैलियां निकालीं जिसमें हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 15, 2020 10:23 IST
पाकिस्तान में शियाओं...- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL MEDIA पाकिस्तान में शियाओं के खिलाफ सड़कों पर उतरे सुन्नी, बोले- ये काफिर है, इन्हें जान से मार देंगे

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के कराची शहर में तहरीक-ए-लबाइक पाकिस्तान (TLP) और अहल-ए-सुन्नत वल जमात (ASWJ) ने अल्पसंख्यक शिया समुदाय के खिलाफ रैलियां निकालीं जिसमें हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए। रैली के दौरान लोगों ने शिया समुदाय के खिलाफ 'शिया काफिर हैं' जैसे नारे लगाए। इतना ही नहीं, उन्हें मारने की धमकी देने वाले नारे भी लगाए गए। साथ ही उन्होंने मुहर्रम के जुलूस पर बैन लगाने की भी मांग की।

बता दें कि पाकिस्तान में शिया समुदाय की आबादी 20 फीसदी है। 20वीं सदी के मध्य से शिया समुदाय के लोग सुन्नी चरमपंथी समूहों अहले-सुन्नत वल जमात, लश्कर-ए-जंघवी, सिपह-ए-सहावा पाकिस्तान के हमलों का निशाना बन रहे हैं। ये सभी संगठन ईशनिंदा को लेकर शिया समुदाय के लोगों को निशाना बनाते रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में पिछले पांच सालों में शिया मुसलमानों के खिलाफ हिंसा काफी बढ़ गई है। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में शिया मुसलमानों की हत्या कर दी गई। हत्या करने के बाद हत्यारे खून से ही शियाओं के घर के बाहर ''शिया काफिर हैं'' भी लिखते हैं। इसके अलावा कई शिया समुदाय के युवा, महिलाएं अभी लापता हैं।

शिया समुदाय के खिलाफ नफरत और हिंसा अब फिर से बढ़ती नजर आ रही है। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने रैली का वीडियो शेयर किया है जिसमें लोग 'शिया काफिर हैं' जैसे नारे लगा रहे हैं। यूजर ने दावा किया कि इमामिया लाइन्स एरिया में इमामबाड़ा पर कट्टरपंथी सुन्नी पार्टी के सदस्यों ने हमला भी किया। एक अन्य सोशल मीडिया यूजर ने बताया कि प्रदर्शनकारियों के हाथ में आतंकवादी संगठन ASWJ/SSP के बैनर्स थे और ये आतंकी संगठन ही पाकिस्तान में शिया मुस्लिमों की हत्या के जिम्मेदार रहे हैं।

पाकिस्तान में मुहर्रम की शुरुआत से ही शिया समुदाय के खिलाफ कैंपेन शुरू हो गए थे। जियारत-ए-आशुरा को पढ़ने की वजह से शिया समुदाय के लोगों पर ईशनिंदा का आरोप लगाया जा रहा है। जियारत-ए-आशुरा में इमाम हुसैन के हत्यारों की निंदा की जाती है। शिया समुदाय के कुछ वक्ताओं को पैगंबर मोहम्मद के साथियों को लेकर दिए गए बयान को लेकर भी ईशनिंदा के आरोप में हिरासत में ले लिया गया है।

पाकिस्तान में एक महीने के भीतर ईशनिंदा के 42 केस दर्ज हुए हैं इनमें से ज्यादातर केस शिया समुदाय के लोगों के खिलाफ ही दर्ज हुए हैं। इन लोगों पर पैगंबर मोहम्मद के साथियों का अपमान करने के आरोप में पाकिस्तान दंड संहिता के सेक्शन 295-A और सेक्शन 298 के तहत केस दर्ज किया गया है। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने धार्मिक और सांप्रदायिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ ईशनिंदा के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जताई है। मानवाधिकार आयोग ने कहा कि पुलिस को ईशनिंदा के मामले जल्दबाजी में दर्ज नहीं करने चाहिए। आयोग ने कहा कि ऐसे मामले अक्सर निजी दुश्मनी निकालने के लिए और मनगढ़ंत होते हैं और ईशनिंदा का केस दर्ज करने के संवेदनशील नतीजों को समझना चाहिए।

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