रमाल्ला: अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा मई में अपने दूतावास को तल अवीव से स्थानांतरित कर जेरुसलम ले जाने के निर्णय पर घमासान मचा हुआ है। इस फैसले की बड़े पैमाने पर निंदा की जा रही है। अमेरिका के इस कदम पर अरब और मुस्लिम देशों ने कड़ा विरोध दर्ज किया है। वहीं, फिलिस्तीनी रेड क्रेसन्ट सोसाइटी ने कहा, ‘व्हाइट हाउस के शुक्रवार को निर्णय के बाद, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में इस्राइली सैनिकों और फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। घटना में 32 फिलिस्तीनी घायल हो गए।’
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ‘वेस्ट बैंक के पास हजारों की संख्या में फिलिस्तीनियों ने 14 विभिन्न ठिकानों पर प्रदर्शन किए। इसके अलावा सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने इस्राइल सीमा के समीप गाजा पट्टी के पास प्रदर्शन किए।’ अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नॉर्ट ने कहा, ‘दूतावास शुरू में अर्नोना की एक इमारत में खोला जाएगा, जहां से फिलहाल जेरुसलम में अमेरिका के महावाणिज्य दूत के कार्य संचालित किए जाते हैं।’ हीथर ने कहा कि आर्नोना परिसर में नया दूतावास 2019 के अंत में खुलेगा। इसबीच इस्राइल के यातायात और खुफिया मंत्री इस्राइल काट्ज ने शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्णय पर उन्हें शुभकामनाएं देने के लिए ट्वीट किया।
वहीं, फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के प्रवक्ता नाबिल अबु रदेनाह ने कहा, ‘यह अस्वीकार्य कदम है। कोई भी एकपक्षीय कदम किसी को वैधानिकता प्रदान नहीं करेगा और क्षेत्र में शांति स्थापित करने के प्रयास को झटका लगेगा।’ गाजा में हमास के अधिकारी सेमी अबु जुहरी ने कहा कि जेरुसलम में अमेरिकी दूतावास स्थापित करने का कदम 'अरब और मुस्लिम दुनिया के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की घोषणा' जैसा है। फिलिस्तीन के शीर्ष मध्यस्थ साइब इरेकॉट ने ट्रंप प्रशासन को इस निर्णय के लिए आड़े हाथ लिया और कहा कि व्हाइट हाउस 'अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन, द्विराष्ट्र सिद्धांत को समाप्त करने और फिलिस्तीनी लोगों की भावना भड़काने' को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखा रहा है। ट्रंप ने पिछले वर्ष दिसंबर में जेरुसलम में दूतावास खोलने की घोषणा की थी।