नई दिल्ली: मालदीव की सरकार ने भारत से अपने सैनिकों और हेलिकॉप्टर को वापस बुलाने को कहा है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक जून में अग्रीमेंट खत्म हो जाने के बाद मालदीव सरकार ने यह कदम उठाया है। दशकों से मालदीव के सैन्य और सिविलियन साझेदार रहे भारत की पोजिशन को कमजोर करने के लिए चीन लगातार वहां सड़कें, ब्रिज और बड़े एयरपोर्ट बनाने में जुटा है। मालदीव में इस समय चीन समर्थक वाली राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन की सरकार है।
पिछले दिनों भारत ने मालदीव में यामीन सरकार की तरफ से राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ चलाए गए अभियान और आपातकाल का विरोध किया था। तब मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल यामीन के विरोधियों ने भारत से सैन्य हस्तक्षेप तक की मांग की थी। इन वजहों ने भारत के खिलाफ मालदीव में माहौल तैयार हुआ। भारत और मालदीव के बीच इस तनाव ने नई दिल्ली के उस रक्षा सहयोग कार्यक्रम पर भी असर डाला है जिसे हिंद महासागर क्षेत्र के छोटे देशों को इकनॉमिक जोन तैयार करने और समुद्री डकैतों से बचाने के लिए चलाया जाता है।
दशकों से मालदीव के सैन्य और सिविलियन साझेदार रहे भारत की पोजिशन को कमजोर करने के लिए चीन लगातार वहां सड़कें, ब्रिज और बड़े एयरपोर्ट बनाने में जुटा है। पिछले दिनों भारत ने मालदीव में यामीन सरकार की तरफ से राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ चलाए गए अभियान और आपातकाल का विरोध किया था। तब मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल यामीन के विरोधियों ने भारत से सैन्य हस्तक्षेप तक की मांग की थी।
मालदीव में भारत के हेलिकॉप्टर के अलावा 50 मिलिटरी पर्सनल भी तैनात हैं। इनमें पायलट और मेंटनेंस क्रू भी शामिल हैं जिनके वीजा की अवधि समाप्त हो गई है। इसके बावजूद भारत ने उन्हें मालदीव से वापस नहीं बुलाया है। इंडियन नेवी के प्रवक्ता ने बुधवार को बताया कि दो हेलिकॉप्टर और हमारे आदमी अभी भी वहीं हैं। उन्होंने आगे जोड़ा कि विदेश मंत्रालय इस मामले को देख रहा है। हालांकि विदेश मंत्रालय ने रॉयटर्स के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया।