माले: राजनीतिक उथल-पुथल के बीच मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने एक चौंकाने वाला कदम उठाया है। यामीन ने कहा है कि वह तीन 'मित्र राष्ट्रों' चीन, पाकिस्तान व सऊदी अरब को अपने दूत भेज रहे हैं। 'मित्र राष्ट्रों' की इस सूची में भारत का नाम नहीं है जो कि इन देशों के मुकाबले भौगोलिक रूप से मालदीव के सबसे करीब है। राष्ट्रपति कार्यालय के एक बयान में कहा गया कि 3 राजनयिक 'मित्र राष्ट्रों' का दौरा करेंगे और वहां के नेतृत्व को मौजूदा स्थिति की जानकारी देंगे। इस बयान में कहा गया है कि राजनयिक चीन व पाकिस्तान पहुंच चुके हैं।
गौरतलब है कि यह घोषणा चीन द्वारा अप्रत्यक्ष तौर पर भारत की तरफ संकेत करते हुए बुधवार को मालदीव के मामले में बाहरी दखल देने को लेकर चेतावनी के बाद की गई है। चीन ने कहा था कि बाहरी दखल से स्थिति 'जटिल' हो जाएगी। मालदीव के निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने गहराते राजनीतिक संकट को हल करने के लिए बीते कुछ दिनों से कई बार भारत से अपील की है, वहीं वर्तमान राष्ट्रपति यामीन को चीन के समर्थक के रूप में देखा जाता है। आपको बता दें कि चीन ने मालदीव में बड़े पैमाने पर निवेश कर रखा है।
नशीद ने बुधवार को कहा था कि मालदीव के लोगों ने 1988 के दौरान भारत की 'सकारात्मक' भूमिका को देखा था, जब भारत 'कब्जा जमाने वाला नहीं, बल्कि मुक्तिदाता' बना था। उस समय भारतीय सैनिकों को मालदीव रवाना किया गया था और उन्होंने श्रीलंका के कुछ तमिल लड़ाकों से निपटकर तत्कालीन राष्ट्रपति मॉमून गयूम की सरकार को गिरने से बचाया था। भारत ने कहा है कि वह मालदीव की स्थिति को लेकर 'परेशान' है।