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मालदीव के राष्ट्रपति ने की इमरजेंसी की घोषणा, टेंशन में इंडिया

बिगड़ते हालात देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने मालदीव में रह रहे अपने नागरिकों को सतर्क रहने को कहा है। साथ ही लोगों को फिलहाल, मालदीव ना जाने की सलाह भी दी गई है। अमेरिका ने भी मालदीव सरकार को कानून का सम्मान करने की अपील की है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 06, 2018 7:12 IST
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मालदीव के राष्ट्रपति ने की इमरजेंसी की घोषणा, टेंशन में इंडिया

नई दिल्ली: सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच कई दिन से चल रही तनातनी के बीच मालदीव सरकार ने इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है। बिगड़ते हालात देखते हुए भारत ने अपने नागरिकों के लिए एडवायजरी जारी की है। सोमवार को राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन के आदेश आते ही नागरिकों के सभी अधिकार रद्द कर दिए गए हैं और पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को गिरफ्तार कर लिया गया है। सेना ने जगह-जगह छापेमारी शुरू कर दी है और खबरों के मुताबिक सुरक्षा बल गेट तोड़कर सुप्रीम कोर्ट के कैंपस में घुस गए हैं। प्रदर्शन कर रहे लोगों को सड़कों से हटाने का काम शुरू हो गया है।

बिगड़ते हालात देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने मालदीव में रह रहे अपने नागरिकों को सतर्क रहने को कहा है। साथ ही लोगों को फिलहाल, मालदीव ना जाने की सलाह भी दी गई है। अमेरिका ने भी मालदीव सरकार को कानून का सम्मान करने की अपील की है। दरअसल, मालदीव में ये राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ जब राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने से इंकार कर दिया था।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत 9 लोगों के खिलाफ दायर एक मामले को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इन नेताओं की रिहाई के आदेश भी दिए थे। कोर्ट ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला की पार्टी से अलग होने के बाद बर्खास्त किए गए 12 विधायकों की बहाली का भी ऑर्डर दिया था लेकिन अब्दुल्ला अमीन की सरकार ने कोर्ट का ये आदेश मानने से इनकार कर दिया था, जिसके चलते सरकार और कोर्ट के बीच तनातनी शुरू हो गई।

बड़ी संख्या में लोग राष्ट्रपति अब्दुल्ला के विरोध में सड़कों पर उतर आए। विरोध को देखते हुए आर्मी को पहले ही अलर्ट पर रखा गया था और अब वहां 15 दिनों के लिए इमरजेंसी लागू कर दी गई है। गौरतलब है कि मालदीव में 2008 में लोकतंत्र की स्थापना हुई थी और मोहम्मद नशीद लोकतांत्रिक रूप से चुने गए मालदीव के पहले राष्ट्रपति हैं। 2015 में उन्हें आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत सत्ता से बेदखल कर दिया गया था।

वे अपने राजनीतिक अधिकारों को बहाल करने की कोशिशों में लगे हैं। फिलहाल ब्रिटेन में रह रहे नशीद देश के पहले इलेक्टेड लीडर हैं। 4 लाख की आबादी वाले मालदीव को पर्यटकों के स्वर्ग के तौर पर जाना जाता है। 2012 में पुलिस विद्रोह के बाद नाशीद को मजबूरी में पद छोड़ना पड़ा था तभी से वहां राजनीतिक अस्थिरता का आलम है।

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