बीजिंग: चीन और भारत को ‘‘एक दूसरे का महत्वपूर्ण पड़ोसी’’ बताते हुए बीजिंग ने बुधवार को कहा कि चीन-भारत सीमा पर अमन-चैन बनाकर रखना दोनों पक्षों के साझा हितों में है और इसके लिए संयुक्त प्रयासों की जरूरत है। हालांकि चीन के विदेश और रक्षा मंत्रालयों ने अलग-अलग बयानों में बीजिंग के रुख को दोहराया कि पूर्वी लद्दाख में 15 जून को हुई दोनों देशों के सैनिकों की झड़प के लिए भारत जिम्मेदार है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने अपने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में वितरित चीनी विज्ञप्ति में कहा कि दोनों रक्षा मंत्री फोन पर बातचीत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव घटाने और शांति एवं स्थिरता बनाकर रखने पर गहन विचार-विमर्श के लिए 22 जून को दूसरी सैन्य स्तरीय वार्ता की थी।’’ लेकिन बाद में बांटी गयी अंग्रेजी विज्ञप्ति में रक्षा मंत्रियों की वार्ता का कोई उल्लेख नहीं किया गया। नयी दिल्ली में जब रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से पूछा गया कि क्या दोनों देशों के रक्षा मंत्री फोन पर बात कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है।
वू ने कहा, ‘‘चीन और भारत एक-दूसरे के महत्वपूर्ण पड़ोसी हैं। सीमा क्षेत्र में अमन-चैन बनाकर रखना दोनों पक्षों के साझा हितों में शामिल है और इसके लिए संयुक्त प्रयासों की भी जरूरत होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि भारत और चीन एक-दूसरे के साथ बैठक करेंगे, दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमतियों को प्रभावी तरीके से लागू करेंगे, दोनों पक्षों के बीच करारों का सख्ती से पालन करेंगे और सभी स्तर पर वार्ता तथा संवाद के माध्यम से प्रासंगिक मुद्दों को उचित तरीके से सुलझाते रहेंगे।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्षों को सीमा पर मौजूदा हालात को शांत करने तथा शांति एवं स्थिरता बनाकर रखने के लिए संयुक्त प्रयास करने चाहिए।’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि दोनों पक्षों के विदेश मंत्रियों ने 17 जून को फोन पर बातचीत के दौरान इस गंभीर मसले पर न्यायोचित तरीके से निपटने पर सहमति जताई थी। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष कमांडर स्तर की वार्ता में हुई सहमति का पालन करेंगे और हालात को यथासंभव जल्द शांत करेंगे। दोनों पक्ष अब तक हुए समझौते के अनुरूप सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन-चैन बनाकर रखेंगे।’’
झाओ ने कहा कि 22 और 23 जून को कमांडर स्तर की दूसरे दौर की बैठक हुई जिसमें दोनों पक्षों ने हालात को शांत करने एवं संयुक्त तरीके से शांति को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने पर सहमति जताई। बातचीत गलवान घाटी में 15 जून को हिंसक झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बाद की गई है। झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। झाओ ने एक बार फिर भारत पर सीमा पर टकराव की स्थिति के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘चीनी पक्ष की कोई जिम्मेदारी नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय पक्ष के इस जोखिमपूर्ण व्यवहार ने दोनों देशों के बीच समझौते का तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों को निर्देशित करने वाले बुनियादी नियमों का व्यापक तरीके से उल्लंघन किया है। यह बहुत गंभीर परिणाम वाला है।’’ जब झाओ से पूछा गया कि दोनों सेनाओं के कमांडरों की सकारात्मक बातचीत के बाद वह आरोप क्यों दोहरा रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जो कहा, उसका आशय सिर्फ पूरी स्थिति को स्पष्ट करना, सभी को सच बताना है। हमने यह बयान दिया क्योंकि भारत में विदेश मंत्रालय और भारतीय मीडिया ने कुछ झूठी रिपोर्ट जारी की हैं।’’ भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध की स्थिति बनी हुई है।