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श्रीलंका की अदालत का बड़ा फैसला, कहा- प्रधानमंत्री के तौर पर काम नहीं कर सकते राजपक्षे

श्रीलंका में जारी राजनीतिक उठापठक के बीच देश की एक अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 03, 2018 17:43 IST
Mahinda Rajapaksa cannot take actions as Sri Lanka Prime Minister, says court | AP File- India TV Hindi
Mahinda Rajapaksa cannot take actions as Sri Lanka Prime Minister, says court | AP File

कोलंबो: श्रीलंका में जारी राजनीतिक उठापठक के बीच देश की एक अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। यहां की एक अदालत ने सोमवार को महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने से रोक दिया। इस कदम को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है जिन्होंने एक विवादास्पद फैसले के तहत रनिल विक्रमसिंघे के स्थान पर राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। सिरिसेना के इस फैसले के बाद श्रीलंका में राजनीतिक अनिश्चितता का दौर शुरू हो गया था।

कोलम्बो गजट की खबर के मुताबिक,​ अपीलीय अदालत ने राजपक्षे और उनकी कैबिनेट को पद की हैसियत से काम करने से रोक दिया है। विवादित सरकार के खिलाफ 122 सांसदों द्वारा दायर याचिका के जवाब में आदेश पारित किया गया। अदालत ने सुनवाई की तारीख 12 और 13 दिसंबर तय की है।

सुनवाई में मौजूद एक वकील ने कहा, ‘अंतरिम राहत के मुताबिक राजपक्षे और उनकी विवादित सरकार को प्रधानमंत्री, कैबिनेट और उपमंत्रियों के तौर पर काम करने से रोक दिया गया है।’ उन्होंने कहा कि अदालत का मत था कि प्रधानमंत्री और कैबिनेट मंत्री के पद पर काबिज व्यक्ति अगर ऐसा करने के अधिकारी नहीं हैं तो ‘अपूरणीय क्षति’ हो सकती है। राजपक्षे के प्रधानमंत्री बनने के खिलाफ विक्रमसिंघे की यूनाईटेड नेशनल पार्टी, जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) और तमिल नेशनल अलायंस ने पिछले महीने अपीली अदालत में याचिका दायर की थी।

श्रीलंका में 26 अक्टूबर से राजनीतिक संकट चल रहा है जब राष्ट्रपति सिरिसेना ने विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया था और उनकी जगह राजपक्षे को नियुक्त कर दिया था। सिरिसेना ने बाद में संसद का कार्यकाल खत्म होने से करीब 20 महीने पहले ही उसे भंग कर दिया और चुनाव कराने के आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने के सिरिसेना के निर्णय को पलट दिया और मध्यावधि चुनावों की तैयारियों पर रोक लगा दी थी।

विक्रमसिंघे और राजपक्षे दोनों प्रधानमंत्री होने का दावा करते हैं। विक्रमसिंघे का कहना है कि उनकी बर्खास्तगी अवैध है क्योंकि 225 सदस्यीय संसद में उनके पास बहुमत है। राजनीतिक संकट के कारण पिछले एक महीने से ज्यादा समय से सरकार पंगु हो गई है। 

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