लंदन: भारतीय मूल के अनुसंधानकर्ता के नेतृत्व वाली एक टीम ने शनि ग्रह के सबसे बड़े उपग्रह टाइटन के ऊपरी वायुमंडल में जीवन से जुड़े एक महत्वपूर्ण कारक की खोज की है। ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सटिी कॉलेज लंदन (UCL) के वैज्ञानिकों ने कैसिनी मिशन के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए टाइटन के वायुमंडल में ऋणात्मक आवेश वाले अणुओं कार्बन चेन एनायन्स की पहचान की है। ऐसा माना जाता है कि इन रैखिक अणुओं की भूमिका अधिक जटिल अणुओं के निर्माण में होती है और संभवत: यह पृथ्वी पर जीवन के आरंभिक स्वरूपों के लिए आधार के तौर पर काम कर चुका है।
शोधकर्ताओं ने कहा है कि ऋणात्मक आवेश वाले कार्बन श्रृंखला के ऋणायनों की खोज आश्चर्यजनक है क्योंकि यह बेहद क्रियाशील होते हैं और अन्य पदार्थों के साथ संयोजन स्थापित करने से पहले वे टाइटन के वायुमंडल में इतने लंबे समय तक अपने मूल स्वरूप में नहीं रह सकते। इस तरह अब इस उपग्रह के वायुमंडल को लेकर वर्तमान समझा पूर्ण रूप से बदल रही है। आंकड़ों से पता चला है कि यह कार्बन श्रृंखलाएं उस उपग्रह के नजदीक आने पर टूटने लगती हैं, जबकि वृहद आकार वाले ऐरोसोल अणुओं के पूर्ववर्तियों में तीव्र गति से वृद्धि होती है। यह दोनों के बीच करीबी संबंध की ओर इशारा करता है, जिसमें कार्बन श्रृंखलाएं बड़े अणु बनाती हैं, जो संभवत: गिरकर सतह पर जम जाते हैं
UCL में पीएचडी शोध के छात्र रवि देसाई ने कहा, ‘हमने पहली बार किसी ग्रह जैसे वायुमंडल में कार्बन श्रृंखला ऋणायनों की स्पष्ट पहचान की है। हमें लगता है कि यह उपग्रह के बड़े आकार वाले धुंधले कणों के जैसे अत्यधिक जटिल कार्बनिक अणुओं के निर्माण के क्षेत्र में अहम उपलब्धि है।’