नई दिल्ली: लद्दाख में 14000 फीट की ऊंचाई पर भारतीय सेनाओं को डटा देख चीन भौचक्का रह गया है जिसके कारण अब उसे अंतिम वक्त में अपनी रणनीति बदलनी पड़ रही है। चीन को लग रहा था कि लद्दाख में शून्य से माइनस 30 डिग्री के जमा देने वाले तापमान में भारतीय सेना टिक नहीं पाएगी और अपनी पोस्ट छोड़ निचले इलाकों में आ जाएगी। चीन अब अपने सैनिकों के लिए ऊंचाई वाले स्थानों पर सामानों और कपड़ों की आपातकालीन खरीद करने के प्रयास कर रहा है। पूर्वी लद्दाख की ऊंचाईयां ही दोनों देशों के बीच विवाद का विषय है।
भारत ने रेचिंग ला, रेजांग ला, मुकपारी सहित पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर उपस्थिति दर्ज करा ली है, जो अब तक मानव रहित थे। इस क्षेत्रों पर उपस्थिति के साथ ही भारत अब चीनी नियंत्रण वाले स्पैंगुर गैप और मोल्डो गैरीसन पर नजर रख सकता है। इस गतिविधि ने चीनी पीएलए को विचलित कर दिया है, जिसने भारतीय सेना को इस क्षेत्र से हटाने के लिए चेतावनी वाले गनशॉट्स भी फायर किए।
अब, यह देखते हुए कि भारत में सर्दियों के महीनों के दौरान भी ऊंचाई पर उपस्थिति बरकरार रखी है और इन क्षेत्रों में तापमान के शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे जाने की स्थिति में भी भारतीय जवान वहां डटे हुए हैं। चीन ने भी अब अपने सैनिकों को 16,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर तैनात करने के लिए आपातकालीन तैयारी शुरू कर दी हैं।
खुफिया सूत्रों ने कहा कि चीन ने 9,000-10,000 फीट के लिए भारी मात्रा में सर्दियों के कपड़ों की खरीद की थी, लेकिन जब विवाद का हल नहीं हुआ और गतिरोध जारी रहा, चीन ने शीतकालीन कपड़ों के लिए थोक खरीद शुरू कर दी। दोनों एशियाई दिग्गजों ने लंबे और कड़ाके की सर्दी के बावजूद पीछे हटने से इनकार कर दिया है, दोनों तरफ तैनाती बढ़ाई जा रही है।
सूत्रों ने कहा कि पीएलए ने ज्वाइंट लॉजिस्टिक्स सपोर्ट फोर्स (जेएलएसएफ) का गठन किया है, ताकि कड़ाके की ठंड के लिए अच्छे कपड़े खरीदे जा सकें। इस टीम को अब अच्छी गुणवत्ता वाले कपड़े और इन कपड़ों को सैनिकों के बीच तेजी से वितरण सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है। जबकि भारतीय सेना को सियाचीन की ऊंचाई पर सेना को तैनात करने का अनुभव प्राप्त है। इसलिए कड़ाके की ठंड और चीन के साथ विवाद को देखते हुए भारतीय सेना ने पहले ही अमेरिका से इस स्थिति के लिए कपड़े खरीद लिए थे।
सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा भारतीय सेना ने सेक्टरों में तैनात सभी जवानों के लिए आवास सुविधाओं की भी व्यवस्था कर ली है। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास आठ महीने से तनाव की स्थिति बरकरार है। कई स्तरों की बातचीत के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध जारी है। 15 जून को, गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में कम से कम 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे और अज्ञात चीनी सैनिक मारे गए।