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नेपाल में सरकार गठन के लिए बहुमत जुटाने में नाकाम रहा विपक्ष, फिर प्रधानमंत्री बने ओली

प्रतिनिधि सभा में महत्वपूर्ण विश्वास मत हारने के 3 दिन बाद राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने CPN-UML के 69 वर्षीय अध्यक्ष के. पी. शर्मा ओली को प्रधानमंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : May 14, 2021 8:56 IST
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Image Source : PTI FILE के. पी. शर्मा ओली शुक्रवार को शीतल निवास में एक समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ लेंगे।

काठमांडू: नेपाल में विपक्षी दलों के अगली सरकार बनाने के लिए बहुमत हासिल करने में नाकाम रहने के बाद गुरुवार की रात को नेपाल की संसद में सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता के रूप में खड्ग प्रसाद शर्मा ओली फिर से देश के प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए। प्रतिनिधि सभा में महत्वपूर्ण विश्वास मत हारने के 3 दिन बाद राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने CPN-UML के 69 वर्षीय अध्यक्ष के. पी. शर्मा ओली को प्रधानमंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया। 

शुक्रवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे ओली

राष्ट्रपति कार्यालय ने गुरुवार की शाम एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति भंडारी ने नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 78 (3) के अनुसार प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के नेता के रूप में ओली को प्रधानमंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया। राष्ट्रपति भंडारी शुक्रवार को शीतल निवास में एक समारोह में ओली को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी। गौरतलब है कि नेपाली कांग्रेस तथा नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवाद मध्य) का विपक्षी गठबंधन अगली सरकार बनाने के लिये बहुमत हासिल करने में नाकाम रहा जिसके बाद ओली के एक बार फिर देश का प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया था।

विश्वास मत साबित करने में नाकाम रहे थे ओली
ओली सोमवार को प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत साबित करने में नाकाम रहे थे, जिसके बाद राष्ट्रपति भंडारी ने विपक्षी दलों को सरकार गठन के लिए गुरुवार की रात 9 बजे तक का समय दिया था। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को CPN माओवाद के अध्यक्ष पुष्पकमल दल 'प्रचंड' का समर्थन मिल गया था, लेकिन वह जनता समाजवादी पार्टी (JSP) का समर्थन हासिल करने में नाकाम रहे। जेएसपी के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव ने देउबा को समर्थन का आश्वासन दिया था लेकिन पार्टी के एक और अध्यक्ष महंत ठाकुर ने इस विचार को खारिज कर दिया।

यूएमल के पास हैं सबसे ज्यादा 121 सीटें
निचले सदन में नेपाली कांग्रेस के पास 61 और माओवाद (मध्य) के पास 49 सीटें हैं। इस प्रकार उनके पास 110 सीटें हैं, लेकिन बहुमत के आंकड़े से कम हैं। फिलहाल सरकार गठन के लिये 136 मतों की जरूरत है। सदन में जेएसपी की 32 सीटें हैं। यदि जेएसपी समर्थन दे देती तो देउबा को प्रधानमंत्री पद के लिये दावा पेश करने का अवसर मिल जाता। यूएमएल के पास 275 सदस्यीय सदन में 121 सीटें है। माधव नेपाल के धड़े वाले 28 सांसदों ने कार्यावाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और माधव के बीच बृहस्पितवार को समझौता होने के बाद अपनी सदस्यता से इस्तीफा नहीं देने का निर्णय लिया।

फिर पीएम बनने का रास्ता यूं हुआ साफ
ओली ने माधव समेत UML के 4 नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का फैसला वापस लेते हुए उन्हें उनकी मांगें माने जाने का आश्वासन दिया। यदि UML के सांसद इस्तीफा दे देते तो प्रतिनिधि सभा में सदस्यों की संख्या घटकर 243 रह जाती, जो फिलहाल 271 है। ऐसे में सरकार गठन के लिये केवल 122 मतों की दरकार होती। इससे पहले, नई सरकार के गठन को लेकर राजनीतिक दलों के बीच दिन भर ऊहापोह की स्थिति रही। CPN- UML के माधव कुमार नेपाल-झालानाथ खनल धड़े से संबंध रखने वाले सांसद भीम बहादुर रावल ने गतिरोध खत्म करने के लिये मंगलवार को दोनों नेताओं के करीबी सांसदों से नयी सरकार का गठन करने के लिये संसद सदस्यता से इस्तीफा देने का आग्रह किया।

रावल ने कहा, सांसदों को इस्तीफा देना चाहिए
रावल ने बुधवार को ट्वीट किया कि ओली नीत सरकार को गिराने के लिए उन्हें संसद सदस्यता से इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने लिखा, 'असाधारण समस्याओं के समाधान के लिए असाधारण कदम उठाए जाने की जरूरत होती है। प्रधानमंत्री ओली को राष्ट्रीय हितों के खिलाफ अतिरिक्त कदम उठाने से रोकने के लिए उनकी सरकार गिराना जरूरी है। इसके लिए हमें संसद की सदस्यता से इस्तीफा देना चाहिये। राजनीतिक नैतिकता और कानूनी सिद्धांतों के लिहाज से ऐसा करना उचित है।

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