इस्लामाबाद: जम्मू एवं कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को समाप्त करने के भारत के फैसले से बौखलाया पाकिस्तान बेचैनी के आलम में बिना स्पष्ट सोच विचार के बयान दे रहा है। इसी की ताजा कड़ी में पाकिस्तान के विदेश मंत्री का यह बयान है कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में उठाएगा, जबकि देश के विधि मंत्रालय में अभी इसे लेकर असमंजस बना हुआ है। यह जानकारी 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने देश के विधि मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से दी है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि पाकिस्तान, कश्मीर मुद्दे को आईसीजे में उठाएगा और विधि मंत्रालय जल्द ही इस बारे में विस्तृत विवरण देगा। लेकिन, अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विधि मंत्रालय को अभी इस बारे में अंतिम राय देना बाकी है कि इस मामले को आईसीजे में उठाया जाए या नहीं। मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। यहां तक कि अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार कई वकीलों ने भी विदेश मंत्री के इस बयान पर आश्चर्य जताया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बारे में राय बंटी हुई है कि आईसीजे के क्षेत्राधिकार के मद्देनजर मामले को आईसीजे में ले जाया जाए या नहीं। हालांकि, पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) के एक वरिष्ठ नेता ने अखबार को बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता ब्रिटेन स्थित एक वकील के संपर्क में हैं जिनका मानना है कि पाकिस्तान को आईसीजे में भारत के खिलाफ कश्मीर मुद्दे को उठाना चाहिए। पीटीआई नेता ने कहा कि एक संघीय मंत्री ने बेन एमर्सन नाम के व्यक्ति से प्रधानमंत्री इमरान खान की मुलाकात कराई जिसने मामले को आईसीजे में उठाने की सलाह दी और इसके बाद विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान मुद्दे को आईसीजे में उठाने जा रहा है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस पर विचार किया जा रहा है कि अनुच्छेद 370 और 35-ए को रद्द किए जाने के कानूनी नतीजों के बारे में आईसीजे से सलाह ली जाए। अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मामलों के जानकार तैमूर मलिक ने कहा कि इस तरह की सलाह बाध्यकारी नहीं होती लेकिन इससे मुद्दे का 'अंतर्राष्ट्रीयकरण' करने में मदद मिलेगी।
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में आईसीजे के प्रावधानों के हवाले से यह भी कहा है कि कश्मीर मामले भारत को कठघरे में खड़ा कर पाना पाकिस्तान के लिए लगभग नामुमकिन होगा।