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इराक ने कहा- ट्रंप का फैसला निंदनीय, मिलिशिया बोला- अमेरिकी सैनिक बनेंगे निशाना

इराक ने जहां ट्रंप के फैसले की निंदा की है वहीं एक प्रमुख इराकी मिलिशिया ने कहा कि इस फैसले के बाद अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाया जाएगा...

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : December 07, 2017 20:16 IST
Representational Image
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बगदाद: इराक ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जेरुसलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के फैसले की निंदा की है। इराक ने कहा कि यह कदम क्षेत्र को नए संघर्ष की कगार पर पहुंचा देगा। इराक के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को यह बात कही। वहीं, एक प्रमुख इराकी मिलिशिया ने कहा कि इस फैसले के बाद अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इराक के विदेश मंत्री इब्राहिम अल जाफरी ने कहा, ‘हम अमेरिकी प्रशासन के फैसले की निंदा करते हैं, जो इस क्षेत्र को, यहां तक की विश्व को एक नए संघर्ष की कगार पर पहुंचा देगा। यह कदम तनाव का एक नया माहौल बना देगा और अधिकारों के उस उल्लंघन को और गहरा कर देगा जिससे कि फिलिस्तीनी लंबे समय से जूझते आ रहे हैं।’ इराक के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को भी एक बयान जारी कर फिलिस्तान और वहां के लोगों के प्रति अपने समर्थन को दोहराया था।

वहीं, प्रमुख इराकी मिलिशिया हरकत हिजबुल्ला अल-नजुबा ने कहा है कि ट्रंप के इस फैसले के बाद अब इराक में स्थित अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाया जा सकता है। ट्रंप की इस घोषणा की कई देशों ने आलोचना की है। अमेरिका के कई सहयोगियों एवं साझेदारों ने भी इस विवादास्पद निर्णय की निंदा की है। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तयब एर्दोआन ने आगाह किया कि इससे क्षेत्र आग के गोले मे बदल जाएगा। इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप की प्रशंसा करते हुए इसे ऐतिहासिक फैसला बताया तथा अन्य देशों से भी इसका अनुसरण करने को कहा। फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि ट्रंप का यह कदम अमेरिका को पश्चिम एशिया में शांति स्थापित करने की पारंपरिक भूमिका के लिए अयोग्य ठहराता है। सऊदी अरब ने ट्रंप के इस कदम को ‘अनुचित और गैर जिम्मेदाराना’ करार दिया है। इस बीच पूर्वी जेरुसलम, पश्चिमी तट आदि क्षेत्रों में फिलीस्तीनी दुकानें बंद रहीं। आम हड़ताल के आह्वान के बाद गुरुवार को स्कूल भी बंद रहे।

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने कहा कि वह इस घोषणा और अमेरिकी दूतावास को वहां स्थानांतरित करने के कदम से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि इस क्षेत्र में शांति की संभावनाएं तलाशने की दिशा में यह मददगार साबित नहीं होगा। जर्मनी ने कहा कि वह ट्रंप के इस फैसले का समर्थन नहीं करता। उधर, ट्रंप की घोषणा के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को एक बैठक बुलाई है। सुरक्षा परिषद के 15 में से कम से कम 8 सदस्यों ने वैश्विक निकाय से एक विशेष बैठक बुलाने की मांग की है। बैठक की मांग करने वाले देशों में 2 स्थाई सदस्य ब्रिटेन और फ्रांस तथा बोलीविया, मिस्र, इटली, सेनेगल, स्वीडन, ब्रिटेन और उरुग्वे जैसे अस्थाई सदस्य शामिल हैं।

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