इस्लामाबाद: पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने शनिवार को देश के राष्ट्रीय दिवस के मौके पर कहा कि भारत पाकिस्तान को विभाजन से पहले जैसी नजरों से देखने की भूल नहीं करे और शांति कायम करने की पाकिस्तान की इच्छा को उसकी कमजोरी नहीं समझना चाहिए। इस मौके पर पाकिस्तान ने सैन्य शक्ति का प्रदर्शन भी किया। अल्वी यहां वार्षिक पाकिस्तान दिवस परेड को संबोधित कर रहे थे। लाहौर में मुस्लिमों के लिए एक अलग देश की मांग के प्रस्ताव को 1940 में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा पारित किया गया था।
राष्ट्रीय दिवस पर थल सेना, वायु सेना और नौसेना द्वारा एक संयुक्त परेड की गई, जिसमें भारत विरोधी बयानबाजी के साथ सैन्य शक्ति का प्रदर्शन भी किया गया। अल्वी ने संभवत: भारतीय वायु सेना के विमान को गिराने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘भारतीय अक्रामकता का जवाब देना पाकिस्तान की जिम्मेदारी है...हमने बेहतर रणनीति से जवाब दिया।’’
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के एक काफिले पर हुए फिदायीं हमले में इस अर्धसैनिक बल के 40 जवानों की शहादत के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली थी। पुलवामा हमले के जवाब में भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमला किया था, जिसके अगले ही दिन पाकिस्तान ने एफ-16 सहित 24 लड़ाकू विमानों के साथ भारत में घुसने की कोशिश की थी।
भारत और पकिस्तान वायुसेना के लड़ाकू विमानों के बीच झड़प के दौरान मिग-21 के गिरने के बाद पायलट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में उतर गए थे। इसके बाद पाकिस्तान ने वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को हिरासत में ले लिया था। लेकिन एक मार्च को उन्हें भारत को वापस भी सौंप दिया था।
अल्वी ने कहा कि भारत की कार्रवाई ने क्षेत्रीय शांति को खतरे में डाला है। उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान को बंटवारे से पहले की नजरों से देखना भारत की भूल होगी। ऐसा करना क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरनाक होगा।’’ अल्वी ने कहा, ‘‘ भारत को पाकिस्तान को वास्तविक रूप से स्वीकार करना होगा और इस निष्कर्ष पर पहुंचना होगा कि बातचीत के जरिए ही मुद्दे सुलझाए जा सकते हैं।’’ इस मौके पर मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद विशेष अतिथि थे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व चाहता है लेकिन ‘‘शांति की उसकी इच्छा को उसकी कमजोरी नहीं समझना चाहिए।’’