Israeli Palestinian Conflict: 1948 से पहले इजराइल नाम का कोई देश दुनिया के नक्शे पर नहीं था। जहां आज इजराइल है वहां सिर्फ और सिर्फ फिलिस्तीन हुआ करता था। लेकिन, उसी साल फिलिस्तीन को तोड़कर इजराइल की स्थापना की गई। इस नए देश को यहूदियों के लिए बनाया गया। फिलिस्तीन का 44 फीसदी हिस्सा इजराइल बन गया और 48 फीसदी हिस्सा फिलिस्तीन ही रहा। बचा हुआ 8 फीसदी हिस्सा जेरूसलम का था, जिसे UN ने अपने अधीन रख लिया। अरब देशों ने इसका बहुत विरोध किया, युद्ध भी हुआ।
अस्तित्व में आते ही इजराइल ने लड़ी जंग
यहीं से इजराइल के अस्तित्व की लड़ाई का जन्म हुआ। इजराइल ने एक साथ 6 देशों के साथ युद्ध किया और सभी को हरा दिया। इसके बाद इजराइल सिर्फ आगे बढ़ा, कभी पीछे मुड़ा ही नहीं लेकिन फिलिस्तीन ने कभी इजराइल को पूरे मन से स्वीकार नहीं किया। फिलिस्तीन और इजराइल के बीच कभी तनाव खत्म नहीं हुआ। हालांकि, 1993 में यह दोनों देश शांति के बहुत करीब आ गए थे लेकिन कलेंडर पर तारीखें बदलीं, साल बदले और हालात फिर तनाव की ओर लौट आए।
इजराइल ने जीती फिलिस्तीन की जमीन
शुरू से ही फिलिस्तीन के हर छोड़े-मोटे अग्रेशन के बदले इजराइल उसकी जमीन जीतता चला गया। 2011 तक फिलिस्तीन 48 फीसदी से घटते-घटते सिर्फ 12 फीसदी रह गया। वहां के लोगों के पास अपनी आर्मी नहीं है, बड़े हथियार नहीं है लेकिन हमास नाम का एक संगठन है, जिसके पास हथियार हैं। यह गाजा से ऑपरेट करता है। गाजा भी फिलिस्तीन का ही हिस्सा है। इजराइल इसे आतंकवादी संगठन बताता है लेकिन यह संगठन फिलिस्तीन के लिए जंग करने का दावा करता है।
हमास की भूमिका?
हमास के पास भी इजराइल के मुकाबले कोई खास बड़े हथियार नहीं हैं, जिसका फायदा इजराइल को मिलता है। हमास हमला करता है, इजराइल लौटकर वार करता है और उसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इसी में वह फिलिस्तीन की जमीन भी कब्जा लेता है। इसे ऐसे मानिए जैसे, ईंट का जवाब पत्थर से देना। कभी अस्तित्व की लड़ाई से आगे बढ़ने वाला इजराइल अब 'अहंकार की जंग' में फिलिस्तीन को निगलता जा रहा है।
जेरूसलम का क्या विवाद है?
दोनों देशों के बीच इस जंग में सबसे अहम भूमिका जेरूसलम की है। दरअसल, यहां एक मस्जिद है, जिसका नाम अल अक्सा है। मुसलमान इसे अपनी तीसरी सबसे पवित्र मस्जिद मानते हैं। लेकिन, जहां यह मस्जिद है, उसी जगह से जुड़ी यहूदियों और ईसाइयों की भी अपनी मान्यताएं हैं। सभी उसपर अपना अधिकार मानते हैं। इसी कारण शुरू से ही इजराइल और फिलिस्तीन के बीच तनाव था। हाल का विवाद भी अल अक्सा मस्जिद से ही शुरू हुआ था।
सैड़कों मौतों के बाद सीजफायर का ऐलान
इजराइल का कहना है कि पहले अलेक्सा मस्जिद में मौजूद फिलिस्तीनियों ने सेना पर पत्थरों से हमला किया था और फिलिस्तीन का कहना है कि इजराइली सेना ने उनपर बेवजह अटैक किया। इसके बाद ही हमास ने गाजा से इजराइल पर रॉकेट दागे और इजराइल ने लौटकर गाजा के कई इमारतों को तबाह कर दिया। यह जंग 232 फिलिस्तीनियों और 12 इजराइलियों की मौत के बाद 20 मई को सीजफायर के ऐलान के साथ रुकी।