जेरुसलम: 11 साल बीतने के बाद इस्राइल ने एक ऐसा खुलासा किया है, जो मध्य-पूर्व में नए सिरे से तनाव को जन्म दे सकता है। इस्राइली सेना ने पहली बार बुधवार को यह स्वीकार किया कि 2007 में एक संदिग्ध सीरियाई परमाणु रिएक्टर पर हुए हवाई हमले के लिए वह जिम्मेदार है। इस्राइल ने कहा है कि उसके 8 फाइटर जेट्स ने इस काम को अंजाम दिया था। इस हमले से संबंधित सार्वजनिक किए गए नए दस्तावेजों के सामने आने के साथ ही इस्राइल की तरफ से यह स्वीकारोक्ति आई है।
यह मामला 5 और 6 सितंबर 2007 का है। इस्राइली सेना ने कहा है कि उसके 8 लड़ाकू विमानों, जिनमें F-16 और F-15 शामिल थे, ने सीरियाई राजधानी दमिश्क से 450 किलोमीटर उत्तर में स्थित दिएर एज जोर के परमाणु रिऐक्टर पर बम बरसाए थे। यह कार्रवाई कुल 4 घंटे तक चली थी। माना जा रहा है कि इस्राइल इस खुलासे के जरिए ईरान को चेतावनी देना चाह रहा है। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बार- बार दुनिया की महाशक्तियों और ईरान के बीच हुए परमाणु समझौते को बदलने या रद्द करने की बात की है।
इसी महीने व्हाइट हाउस में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नेतन्याहू से मुलाकात हुई थी। ट्रंप ने कहा था कि 12 मई तक यह परमाणु समझौता हो जाना चाहिए, नहीं तो, अमेरिका इस करार से पीछे हट जाएगा। इस्राइली सेना के एक प्रवक्ता ने इस स्वीकारोक्ति और हमले से संबंधित दस्तावेजों के जारी होने को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया। लेकिन इस्राइली कदम को ईरानी गतिविधियों के संबंध में चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है। सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों में हमलेका वीडियो फुटेज भी शामिल है।