यरूशलम: इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू के एतिहासिक 12 वर्ष के शासन की समाप्ति के अंतिम दिनों में भी वह राजनीतिक मंच को शांति से अलविदा नहीं कह रहे हैं। लंबे समय तक शासन करने वाले नेतन्याहू अपने प्रतिद्वंद्वियों पर उनके मतदाताओं को धोखा देने और कुछ को विशेष सुरक्षा की आवश्यकता पड़ने का आरोप लगा रहे हैं। नेतन्याहू ने कहा कि वह नीतियों में उलटफेर करने वाली सरकारी एजेंसियों और सेना के प्रभावशाली व्यक्तियों (डीप स्टेट) की साजिश का शिकार हुए हैं। वह जब अपने नेतृत्व के बिना देश की बात करते हैं तो कहते हैं कि देश का सर्वनाश होगा।
‘मुझे देश के भाग्य को लेकर डर है’
नेतन्याहू ने रूढ़िवादी चैनल 20 टीवी स्टेशन से इस हफ्ते कहा, ‘वे अच्छे को उखाड़ फेंक रहे हैं और उसके स्थान पर बुरे और खरतनाक को ला रहे हैं। मुझे देश के भाग्य को लेकर डर है।’ ऐसी भाषा तनावपूर्ण दिनों को दर्शाती है जब नेतन्याहू और उनके वफादार नई सरकार को रविवार को शासन संभालने से रोकने के लिए आखिरी हताश कोशिश कर रहे हैं। अपने लिए विकल्पों की समाप्ति के साथ ही, इसने नेतन्याहू को विपक्ष का नेता बनने का भी पूर्वालोकन प्रदान किया है। जिन लोगों ने नेतन्याहू को कई वर्षों से इजराइली राजनिति में अपना वर्चस्व स्थापित करते देखा है, उनके लिए नेतन्याहू का हाल का व्यवहार काफी जाना-पहचाना है। वह अकसर बड़े और छोटे खतरों का स्पष्ट रूप में वर्णन करते हैं।
सिर्फ खुद को देश चलाने वाला नेता मानते हैं नेतन्याहू
नेतन्याहू ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को हमेशा कम आंका है और फूट डालो और जीतो की युक्ति का इस्तेमाल कर फले-फूले हैं। उन्होंने अपने यहूदी विरोधियों को कमजोर, आत्म घृणा करने वाले ‘वामपंथियों’ के तौर पर और अरब नेताओं को आतंकवादियों के हमदर्द के संभावित पांचवे स्तंभ के रूप में चित्रित किया है। वह नियमित तौर पर खुद को इजराइल का नेतृत्व करने में सक्षम एकमात्र व्यक्ति के तौर पर पेश करते हैं। (भाषा)