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ईरान: तीसरे दिन हिंसक हुआ विरोध-प्रदर्शन, धर्मगुरुओं को सत्ता से हटाने की भी मांग

प्रदर्शनों की वजह केवल खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ना या बेरोजगारी ही नहीं है, बल्कि प्रदर्शनकारी धर्मगुरुओं की सत्ता के खात्मे के लिए भी आवाज उठा रहे हैं...

Reported by: IANS
Published on: December 31, 2017 17:57 IST
Iran Protests | AP Photo- India TV Hindi
Iran Protests | AP Photo

तेहरान: ईरान के शहरों में हो रहे सत्ता विरोधी प्रदर्शनों में कुछ हिंसक हो गए हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट एक वीडियो में दिखा है कि पश्चिमी ईरान के दोरुद में गोली लगने से दो प्रदर्शनकारी घायल हो गए और कथित रूप से दोनों की मौत हो जाने की खबर है। बीबीसी की शनिवार की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में अन्य जगहों पर फिल्माए गए वीडियो में दिख रहा है कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों में आग लगा दी है और सरकारी इमारतों पर हमलों की भी खबरें हैं। साल 2009 में सुधार समर्थक व्यापक रैलियों के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा प्रदर्शन है।

प्रदर्शनकारियों ने 'अवैध रूप से एकत्रित नहीं होने की' ईरान के आतंरिक मंत्री की चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया। इस सिलसिले में अधिकांश जानकारियां सोशल मीडिया पर सामने आ रही हैं जिनकी पुष्टि करना मुश्किल हो रहा है। उत्तरी ईरान के अबहार में प्रदर्शनकारयिों ने ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की तस्वीर वाले एक बड़े बैनर को आग के हवाले कर दिया। इस बीच मध्य ईरान के अराक शहर में सरकार समर्थित बासिज मिलिशिया के स्थानीय कार्यालयों में भी कथित रूप से प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी। बीबीसी पर्शियन की रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी तेहरान में आजादी चौक पर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। तेहरान में रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि शहर में स्थिति नियंत्रण में है।

समाचार एजेंसी आईएसएनए को ब्रिगेडियर जनरल इस्माइल कोवसारी ने बताया कि प्रदर्शनकारी अगर विरोध प्रदर्शन जारी रखते हैं तो उन्हें 'राष्ट्र के लौह हाथ' का सामना करना पड़ेगा। एक वीडियो में दिखाया गया है कि उत्तर-पूर्व के मशहद में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से भिड़ंत के बाद उनकी मोटरसाइकिलें जला दीं। लोगों के मोबाईल फोन पर इंटरनेट सेवा उपलब्ध नहीं होने की भी खबरें हैं। पश्चिमी ईरान के कर्मनशाह में माकन नाम के एक प्रदर्शनकारी ने बीबीसी पर्शियन को बताया कि विरोध कर रहे लोगों को पीटा गया, 'लेकिन हम यह नहीं बता सकते कि यह पुलिस थी या बासिज मिलिशिया।' उन्होंने कहा, ‘मैं राष्ट्रपति रूहानी के खिलाफ प्रदर्शन नहीं कर रहा हूं। हां, उन्हें अर्थव्यवस्था में सुधार लाने की जरूरत है, लेकिन यह ऐसी व्यवस्था है जो सड़ चुकी है। इस्लामिक गणराज्य और इसकी संस्थाओं को सुधारने की जरूरत है।’

इससे पहले तेहरान यूनिवर्सिटी में हुए प्रदर्शन में अयातुल्ला खामेनेई को पद से हटाने की मांग की गई। प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हुई। शनिवार को समूचे देश में सरकार के समर्थन में भी बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। 2009 में हुए प्रदर्शनों को दबाए जाने के 8 साल पूरे होने के मौके पर पहले से ही इनके आयोजन की योजना बनाई गई थी। शनिवार को सरकार के खिलाफ हुए प्रदर्शन, सरकार के समर्थन में हुए प्रदर्शनों से छोटे थे लेकिन इनका महत्व इसलिए अधिक माना गया कि ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शन कोई रोजमर्रा की बात नहीं हैं। खास बात यह भी है कि प्रदर्शनों की वजह केवल खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ना या बेरोजगारी ही नहीं है, बल्कि प्रदर्शनकारी धर्मगुरुओं की सत्ता के खात्मे के लिए भी आवाज उठा रहे हैं। ईरानी अधिकारियों ने सत्ता विरोधी प्रदर्शनों के लिए 'क्रांतिकारी विरोधी और विदेशी शक्तियों के एजेंटों' को जिम्मेदार ठहराया है।

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