तेहरान: ईरान ने राष्ट्रपति हसन रूहानी और उनके अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप के बीच बैठक की संभावना बुधवार को खारिज कर दी। हालांकि, ट्रंप के दो शीर्ष लेफ्टिनेंटों मंगलवार को संकेत दिया था कि वह (ट्रंप) बगैर किसी पूर्व शर्त के ईरानी राष्ट्रपति के साथ बैठक करने के लिए तैयार हैं। ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन को बर्खास्त किये जाने के बाद अमेरिका ने यह संकेत दिया था।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो एवं वित्त मंत्री स्टीवन म्नुचिन ने इस बात पर जोर दिया है कि अमेरिका इस्लामी गणराज्य (ईरान) के खिलाफ ‘‘अधिकतम दबाव’’ के अपने अभियान को कायम रखेगा। ट्रंप-रूहानी बैठक का विचार पिछले महीने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दिया था, जो ईरान और अमेरिका के बीच तनाव घटाने के लिए यूरोपीय कोशिशों का नेतृत्व कर रहे हैं। ईरान और अमेरिका के बीच पिछले साल मई से तकरार चल रही है, जब ट्रंप ने 2015 के परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने की एकतरफा घोषणा कर दी थी और ईरान पर फिर से कड़े प्रतिबंध लगा दिए।
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के प्रतिनिधि ने बुधवार को सरकारी आरएनए समाचार एजेंसी द्वारा प्रकाशित एक साक्षात्कार में रूहानी के रूख को दोहराया । ईरानी दूत माजिद तख्त रवांची ने कहा कि बैठक तभी हो सकती है जब अमेरिका तेहरान के खिलाफ लगाए प्रतिबंधों को हटा कर अपना आर्थिक आतंकवाद बंद करे। ईरानी दूत ने कहा कि कोई भी बैठक 2015 के परमाणु समझौते में शामिल रही बड़ी शक्तियों के समूह के ढांचे में हो। उन्होंने यह भी कहा कि बोल्टन को हटाने का ट्रंप का फैसला अमेरिका का एक आतंरिक विषय था।
उल्लेखनीय है कि बोल्टन पर ट्रंप को ईरान के खिलाफ युद्ध की दिशा में ले जाने का आरोप है। बोल्टन 2003 में इराक पर किये गये हमले और अमेरिका की आक्रामक विदेश नीति संबंधी फैसलों से करीबी तौर पर जुड़े रहे थे। बोल्टन को ईरान, उत्तर कोरिया और वेनेजुएला सहित अन्य देशों के खिलाफ व्हाइट हाउस के सख्त रूख के पीछे मुख्य व्यक्ति के तौर पर देखा गया था।