तेहरान: ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन को बर्खास्त किए जाने का स्वागत किया। रूहानी ने अपने अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक की संभावनाओं भी बुधवार को खारिज करते हुए कहा कि अमेरिका का ‘युद्धोन्माद’ नाकाम रहा। रूहानी ने ट्रंप के साथ बैठक न करने का फैसला ऐसे वक्त लिया है जब अमेरिकी प्रशासन इस्लामी गणराज्य पर और अधिक सख्त प्रतिबंध लगा रहा है। ईरान सरकार के ट्विटर अकाउंट के मुताबिक रूहानी ने कैबिनेट की एक बैठक में कहा, ‘अमेरीकियों को यह अवश्य समझना चाहिए कि युद्ध जैसी स्थिति और युद्धोन्माद ने उनके पक्ष में काम नहीं किया। इन दोनों चीजों को अवश्य ही छोड़ देना चाहिए।’
अमेरिका बनाए रखेगा ‘अधिकतम दबाव’
उन्होंने अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों का जिक्र करते हुए कहा, ‘दुश्मन ने हम पर अधिकतम दबाव डाला। हमारा जवाब इसका प्रतिरोध करना और मुकाबला करना है।’ ट्रंप के 2 शीर्ष लेफ्टिनेंटों मंगलवार को संकेत दिया था कि वह (ट्रंप) बगैर किसी पूर्व शर्त के ईरानी राष्ट्रपति के साथ बैठक करने के लिए तैयार हैं। ट्रंप ने अपने तीसरे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोल्टन को बर्खास्त करने की मंगलवार को घोषणा की। ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन को बर्खास्त किए जाने के बाद अमेरिका ने यह (बैठक के लिए) संकेत दिया था। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो एवं वित्त मंत्री स्टीवन म्नुचिन ने इस बात पर जोर दिया है कि अमेरिका इस्लामी गणराज्य (ईरान) के खिलाफ ‘अधिकतम दबाव’ के अपने अभियान को कायम रखेगा।
अमेरिका-ईरान के बीच सुलह कराने की कोशिश में फ्रांस
ट्रंप-रूहानी बैठक का विचार पिछले महीने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दिया था, जो ईरान और अमेरिका के बीच तनाव घटाने के लिए यूरोपीय कोशिशों का नेतृत्व कर रहे हैं। ईरान और अमेरिका के बीच पिछले साल मई से तकरार चल रही है, जब ट्रंप ने 2015 के परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने की एकतरफा घोषणा कर दी थी और ईरान पर फिर से कड़े प्रतिबंध लगा दिए। संयुक्त राष्ट्र में ईरान के प्रतिनिधि ने बुधवार को सरकारी आरएनए समाचार एजेंसी द्वारा प्रकाशित एक इंटरव्यू में रूहानी के रूख को दोहराया। ईरानी दूत माजिद तख्त रवांची ने कहा कि बैठक तभी हो सकती है जब अमेरिका तेहरान के खिलाफ लगाए प्रतिबंधों को हटा कर अपना आर्थिक आतंकवाद बंद करे।
बोल्टन के नाम की इसलिए हो रही है चर्चा
ईरानी दूत ने कहा कि कोई भी बैठक 2015 के परमाणु समझौते में शामिल रही बड़ी शक्तियों के समूह के ढांचे में हो। उन्होंने यह भी कहा कि बोल्टन को हटाने का ट्रंप का फैसला अमेरिका का एक आतंरिक विषय था। ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने कहा है कि बोल्टन को हटाए जाने से थोड़ा-सा बदलाव देखने को मिलेगा। उल्लेखनीय है कि बोल्टन पर ट्रंप को ईरान के खिलाफ युद्ध की दिशा में ले जाने का आरोप है। बोल्टन 2003 में इराक पर किए गए हमले और अमेरिका की आक्रामक विदेश नीति संबंधी फैसलों से करीबी तौर पर जुड़े रहे थे। बोल्टन को ईरान, उत्तर कोरिया और वेनेजुएला सहित अन्य देशों के खिलाफ व्हाइट हाउस के सख्त रgख के पीछे मुख्य व्यक्ति के तौर पर देखा गया था।
...और बोल्ट ने ट्रंप को अपना इस्तीफा सौंप दिया
सामचार एजेंसी एपी की एक खबर के मुताबिक राष्ट्रपति के इर्द-गिर्द प्रभाव को लेकर तथा दुनिया के कुछ सर्वाधिक आक्रामक नेताओं से निपटने के तरीकों को लेकर हाल के महीनों में बोल्टन और अन्य अधिकारियों के बीच तनाव बढ़ गया था। ट्रंप ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘उन्होंने सोमवार रात बोल्टन से कहा कि व्हाइट हाउस में उनकी सेवाओं की अब और जरूरत नहीं है।’ इसके बाद बोल्टन ने मंगलवार सुबह अपना इस्तीफा सौंप दिया। (भाषा)