इंडोनेशिया के सुंडा जलसंधि में शनिवार रात ज्वालामुखी फटने के बाद आई सुनामी में मरने वालों की संख्या संख्या बढ़कर 281 हो गई है और 1,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता सुतोपो पूर्वो नुग्रोहो ने कहा, ‘‘मृतकों की संख्या और नुकसान दोनों में बढ़ोतरी होगी।’’ इस बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका दुख की इस घड़ी में इंडोनेशिया के साथ खड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुंडा में आई इस तबाही पर दुख व्यक्त किया है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी ने बताया कि अनाक क्राकाटोआ या ‘क्राकाटोआ का बच्चा’ ज्वालामुखी के फटनेके बाद शनिवार को स्थानीय समयानुसार रात साढ़े नौ बजे दक्षिणी सुमात्रा और पश्चिमी जावा के पास समुद्र की ऊंची लहरें तटों को लांघती हुई आगे बढ़ीं। इससे सैकड़ों मकान नष्ट हो गए। लोगों को बचाने के लिए खोज और बचाव अभियान तेज कर दिया गया है।
इंडोनेशिया की मौसम विज्ञान एवं भूभौतिकी एजेंसी के वैज्ञानिकों ने कहा कि अनाक क्राकाटोआ ज्वालामुखी के फटने के बाद समुद्र के नीचे मची तीव्र हलचल सुनामी का कारण हो सकता है। उन्होंने लहरों के उफान का कारण पूर्णिमा के चंद्रमा को भी बताया।
अंतरराष्ट्रीय सुनामी सूचना केन्द्र के अनुसार ज्वालामुखी के फटने से सुनामी की घटना दुर्लभ है। संभवत: यह जल की विशाल राशि के अचानक विस्थापन या ‘स्लोप फेल्यर’ के चलते हुई होगी। प्रत्यक्षदर्शियों ने सोशल मीडिया पर सुनामी का मंजर सोशल मीडिया पर बयां किया है।
टीवी चैनलों पर जावा के पश्चिमी पट पर स्थित मशहूर कारिता बीच पर हुए नुकसान की तस्वीरें भी दिखाई जा रही हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने भी आंखों देखा मंजर बयान किया है। सुनामी के समय कारिता बीच पर मौजूद मुहम्मद बिनतांग ने बताया कि अचानक विशालकाय लहरें उठने लगीं जो तेजी से तट की तरफ बढ़ने लगी। इसके चलते वहां अंधेरा छा गया।
इसके अलावा दक्षिणी सुमात्रा के बांदर लामपंग शहर में सैकड़ों लोगों को गवर्नर के कार्यालय में शरण लेनी पड़ी है। भूभौतिकी एजेंसी ने कहा कि हिंद महासागर और जावा समुद्र को जोड़ने वाले सुंदा जलसंधि में सुनामी आने आधे घंटे मिनट पहले अनाक क्राकाटोआ ज्वालामुखी फटा था।
देश की राजधानी जकार्ता से करीब 200 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में 305 मीटर ऊंचा ज्वालामुखी जून से ही फटना शुरू हो गया था।
अधिकारियों ने ज्वालामुखी के गड्ढे से दो किलोमीटर तक के क्षेत्र को प्रतिबंधित जोन घोषित कर लोगों को वहां नहीं जाने का परामर्श जारी किया था।
इससे पहले, 26 दिसंबर 2004 को पश्चिमी सुमात्रा तट के पास समुंद्र में 9.3 तीव्रता के भूकंप के बाद आयी सुनामी के कारण हिंद महासागर के आसपास के देशों में 2,20,000 लोगों की मौत हो गयी थी। इंडोनेशिया में 1,68,000 लोगों की जान गयी थी।