काठमांडू। कैलाश मनसरोवर यात्रा से वापस लौट रहे करीब 200 भारतीय तीर्थयात्री निजी यात्रा संचालकों के कथित कुप्रबंधन के चलते नेपाल के हुमला जिले में फंस गए हैं। तीर्थयात्रियों ने बुधवार को यह दावा किया। हर साल काफी संख्या में भारतीय इस तीर्थयात्रा पर जाते हैं, जिस दौरान उन्हें दुर्गम रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। भगवान शिव के वास स्थान (कैलास मानसरोवर) के रूप में यह हिंदुओं के लिए महत्व रखता है। वहीं, जैन और बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए यह धार्मिक महत्व रखता है।
तीर्थयात्री अभी नेपाल-चीन सीमा के पास हिलसा कस्बे में फंसे हुए हैं। वहां वे लोग तिब्बत के बुरांग से पहुंचे थे और हेलीकॉप्टर से सिमीकोट के लिए फौरन रवाना होने वाले थे, जहां से वे नेपालगंज की ओर बढ़ते।
पंजाब के डेराबस्सी निवासी पंकज भटनागर (40) ने कहा, ‘‘जब हम यहां(हिलसा) पहुंचे तब हमें तय समय से अधिक रूकना पड़ा क्योंकि हमसे पहले यहां आए कई लोगों को यात्रा संचालकों ने निर्धारित समय से अधिक देर तक रोक कर रखा था। वे यहां तीन दिनों से हैं, वे अब निकल रहे हैं और हम उनके बाद निकलेंगे।’’ उन्होंने बताया कि हिलसा में मौजूद सुविधाएं तीर्थयात्रियों की संख्या के मद्देनजर अपर्याप्त हैं।
गुड़गांव के रहने वाले मयंक अग्रवाल (28) ने बताया कि लोगों के ऐसे कई समूह हैं जिनकी यात्रा का प्रबंध विभिन्न निजी संचालक कर रहे हैं। अपने माता-पिता को लेकर तीर्थयात्रा पर गए अग्रवाल ने पीटीआई भाषा को फोन पर बताया, ‘‘यहां पहुचंने वाले लोगों की संख्या के बारे में कोई नियम कायदा नहीं है। यहां लाए जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जबकि सुविधाएं नगण्य हैं। यात्रा संचालक कोई जवाब नहीं दे रहे हैं।’’
हालांकि, भारत में यात्रा संचालकों ने कहा कि कुछ यात्रियों को निर्धारित समय से अधिक समय तक इसलिए ठहराना पड़ा कि हिलसा और सिमीकोट के बीच हेलीकॉप्टर सेवाएं खराब मौसम के चलते रोकनी पड़ गई। नोएडा के ग्लोबल कनेक्ट हॉस्पिटैलिटी के यतीश कुमार ने कहा, ‘‘वहां उड़ानों का परिचालन पूरी तरह से मौसम पर निर्भर है।’’