इस्लामाबाद: पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि कुलभूषण जाधव को एक और कांसुलर एक्सेस के लिए इस्लामाबाद की पेशकश को लेकर भारत इसलिए अनिच्छुक है, क्योंकि वह इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में ले जाना चाहता है। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान दुश्मन की चाल को समझता है। भारत आईसीजे में गया, लेकिन असफल रहा, जबकि पाकिस्तान ने आईसीजे के फैसले का अनुपालन किया।" उन्होंने कहा, "भारत पाकिस्तान को वापस आईसीजे में घसीटना चाहता है। पाकिस्तान इस तरह के प्रयास में भारत को सफल नहीं होने देने के उपाय करेगा।"
कुरैशी ने कहा कि जब तक भारत पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य की विशेष स्थिति को बदलने के फैसले को पलट नहीं देता, तब तक नई दिल्ली के साथ कोई बातचीत नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा, "भारत ने कब्जे वाली घाटी में लगातार बंद लागू किया है। हम कश्मीर पर कब्जे वाले भौगोलिक परिवर्तनों से चिंतित हैं, जहां अब बहुसंख्यक अल्पसंख्यक में बदल रहे हैं।"
कुरैशी ने यह भी दावा किया कि भारत गिलगित-बाल्टिस्तान (जीबी) में उग्रवाद पैदा करने की कोशिश कर रहा है और वहां के राजनीतिक सुधारों पर आम सहमति के लिए पाकिस्तान के प्रयासों को विफल कर रहा है। उन्होंने कहा, "भारत पाकिस्तान की हर छोटी-बड़ी बातों पर प्रकाश डालता है।"
कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर विदेश मंत्रालय में आयोजित समारोह में बोलते हुए यह बातें कही। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का भारत द्वारा लगातार उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सार्वभौमिक आदर्शो का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है और उन्हें दोषपूर्ण माना जा रहा है।" उन्होंने कहा कि भारत अधिकृत जम्मू एवं कश्मीर (पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को भारत अधिकृत मानता है) में पहले की तुलना में अब कहीं अधिक भयावह माहौल है।
उन्होंने कहा कि भारत में 'हिंदुत्व' की विचारधारा से प्रेरित भाजपा-आरएसएस शासन लगातार पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों के खिलाफ आक्रामक हो रहा है, जो क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र से कश्मीर पर अपने प्रस्तावों के पूर्ण कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अपने कानूनी और राजनीतिक अधिकार का इस्तेमाल करने का आह्वान किया।
पाकिस्तान भारत को कुलभूषण जाधव मामले के मामले में एक वकील नियुक्त करने के लिए कह रहा है, जिनकी पुनर्विचार याचिका इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) के समक्ष लंबित है। हालांकि अब तक भारत ने जोर देकर कहा है कि वह एक पाकिस्तानी प्रैक्टिसिंग वकील को नियुक्त नहीं करना चाहता है और इसके लिए वह एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि को बुलाना चाहता है, जो मांग पाकिस्तान ने खारिज कर दी है।