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डर गया चीन? कहा- भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया हमें निशाना न बनाएं

अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया का नया गठजोड़ बनने की संभावना को देखते हुए पहली बार चीन ने खुलकर कहा है कि इन चार देशों का संगठन उनके मुल्क को निशाना न बनाए...

Reported by: IANS
Published on: November 13, 2017 18:22 IST
Representational Image | AP Photo- India TV Hindi
Representational Image | AP Photo

बीजिंग: अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया का नया गठजोड़ बनने की संभावना को देखते हुए पहली बार चीन ने खुलकर कहा है कि इन चार देशों का संगठन उनके मुल्क को निशाना न बनाए। चीन ने सोमवार को कहा कि अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया को चाहिए कि वे उसे अपना निशाना नहीं बनाएं और अमेरिकी पहल पर इन देशों के लिए लाए गए हिंद-प्रशांत प्रस्ताव का इस्तेमाल प्रासंगिक पक्षों को इससे दरकिनार करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। चीन की इस टिप्पणी से एक दिन पहले इन चारों देशों के नेताओं ने मनीला में दक्षिण एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) के शिखर सम्मेलन से अलग मुलाकात कर मुक्त, खुले, समृद्ध और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए काम करने का फैसला किया था।

चीन ने कहा कि अमेरिका की पहल पर इन देशों के लिए लाए गए हिद-प्रशांत प्रस्ताव का इस्तेमाल मुद्दे के राजनीतिकरण और प्रासंगिक पक्षों को इससे दरकिनार करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिंग शुआंग ने कहा, ‘प्रस्ताव खुला और समावेशी होना चाहिए, सभी के लिए हितकर सहयोग के अनुकूल होना चाहिए और इसका राजनीतिकरण करने या कुछ प्रासंगिक पक्षों को अलग-थलग करने से बचना चाहिए। चीन की सुदृढ़ विदेशी नीति के तहत हम संबंधित देशों के बीच मैत्रीपूर्ण सहयोग के विकास का स्वागत करते हैं और हमें उम्मीद है कि इस तरह के संबंध किसी भी तीसरे पक्ष के खिलाफ नहीं हैं। हम आशा करते हैं कि यह संबंध क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के अनुकूल होंगे।’

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हिंद महासागर में भारत को शामिल करने के स्पष्ट संकेत के रूप में 'हिंद-प्रशांत' शब्द का बार-बार इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया की मदद से चीन पर नियंत्रण बनाना चाहता है। गेंग ने कहा, ‘शांति, विकास और द्विपक्षीय सहयोग समय की प्रवृत्ति है। मुझे लगता है कि किसी भी देश या क्षेत्र में विकास को समय के रुझान और दुनिया की प्रवृत्ति के अनुरूप होना चाहिए। मुझे लगता है कि सभी संबंधित पक्ष देशों और क्षेत्रों के बीच के सहयोग को विकसित करने के लिए अपने दृष्टिकोण और प्रस्ताव को आगे बढ़ा सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि इस तरह के प्रस्ताव और दृष्टिकोण प्रवृत्ति के अनुरूप और दुनिया के रुझान के अनुरूप हो सकते हैं।’ रविवार को आसियान शिखर सम्मेलन के इतर पहली बार 4 देशों के प्रतिनिधियों ने एक साथ मुलाकात की थी।

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