इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद पुलवामा जैसे हमले की आशंका प्रकट करते हुए कहा कि इससे पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध छिड़ सकता है। संसद की असाधारण संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने आगाह किया, ‘‘यह ऐसा युद्ध होगा जिसे कोई नहीं जीतेगा और इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा।’’
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने के भारत सरकार के फैसले के एक दिन बाद कश्मीर की स्थिति पर चर्चा के लिए बैठक बुलायी गयी थी। भारत जम्मू कश्मीर को अपना अखंड हिस्सा कहता है और इसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भी शामिल है। प्रधानमंत्री खान ने स्पष्ट किया कि परमाणु हथियार से संपन्न दोनों पड़ोसियों के बीच मौजूदा तनाव में युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी विरोध करेंगे और भारत उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा। खान ने कहा कि इस दृष्टिकोण से ‘‘एक बार फिर पुलवामा जैसे हमले हो सकते हैं। मैं आशंका जता चुका हूं, यह होगा। एक बार फिर वे हम पर दोष मढेंगे। वे हम पर फिर हमला कर सकते हैं और हम जवाब देंगे।’’
खान ने सांसदों से कहा, ‘‘फिर क्या होगा? जंग कौन जीतेगा ? कोई भी नहीं जीतेगा और सारी दुनिया के लिए इसके गंभीर नतीजे होंगे। परमाणु हमले को लेकर ब्लैकमेल करने की बात नहीं है।’’ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कश्मीर में हालात का संज्ञान लेने का अनुरोध किया। खान ने कहा कि उनकी सरकार वैश्विक नेताओं से संपर्क करेगी और कश्मीर में हालात के बारे में उन्हें अवगत कराएगी। उन्होंने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित हर मंच पर लड़ेंगे। इसके साथ ही खान ने कहा कि पाकिस्तान मामले को अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में भी ले जाने की सोच रहा है। खान ने कहा कि उन्होंने भारत सहित सभी पड़ोसियों से संबंध बेहतर करने की कोशिश की लेकिन नयी दिल्ली ने उनके प्रस्ताव को अनसुना कर दिया।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बिलावल भुट्टो ने भी भारत के कदम का जवाब देने के लिए सख्त कार्रवाई का अनुरोध किया। इससे पहले, जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद मंगलवार को भारत के खिलाफ एक प्रस्ताव की भाषा को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच मतभेद के बाद पाकिस्तान संसद की संयुक्त बैठक बाधित हुई । कार्यवाही शुरू होने के बाद संसदीय कार्य मंत्री आजम खान स्वाति ने प्रस्ताव पेश कर भारत द्वारा नियंत्रण रेखा (एलओसी) के ‘‘उल्लंघन’’ की आलोचना की, लेकिन भारतीय संविधान से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने का उल्लेख नहीं किया। विपक्षी सांसदों ने इस चूक पर विरोध किया और कार्यवाही का बहिष्कार करने की धमकी दी, जिसके बाद नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर ने संशोधित प्रस्ताव के बाद तुरंत बैठक बुलाने के वादे के साथ कार्यवाही स्थगित कर दी। प्रधानमंत्री खान के नीति पर बयान देने के लिए राजी होने के चार घंटे बाद बैठक बुलायी गई।