बीजिंग/नई दिल्ली: भारत ने कोविड-19 की उत्पत्ति का पता लगाने की अपनी मांग गुरुवार को एक बार फिर दोहरायी। एक दिन पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस जटिल मुद्दे के अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिये विशेषज्ञों के एक समूह का गठन किया है। कोविड-19 की उत्पत्ति का विषय पिछले करीब 1.5 वर्षो से काफी जटिल मुद्दा बना हुआ है जब यह वायरस सबसे पहले चीन के वुहान में सामने आया था। इस बीच चीन के विदेश मंत्रालय ने कोरोना वायरस की उत्पति को लेकर WHO द्वारा फिर से जांच करने को संभावित ‘राजनीतिक जोड़तोड़’ करार देते हुए इसके खिलाफ गुरुवार को चेतावनी दी।
वैज्ञानिक सलाहकार समूह में 2 भारतीय भी शामिल
WHO के मुताबिक, भारत से जाने माने महामारीविद रमण गंगाखेदकर तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की राष्ट्रीय पीठ के डॉक्टर सी. जी. पंडित को वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिये 26 सदस्यीय इस वैज्ञानिक सलाहकार समूह का सदस्य बनाया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘हमने जो पहले कहा है, उसे हम दोहराते हैं। इस विषय पर आगे अध्ययन और उत्पत्ति के संबंध में आंकड़ों तथा सभी संबंधित पक्षों की समझ एवं सहयोग को लेकर हमारे हित (जुड़े) हैं।’’ उन्होंने कहा कि उन्हें हालांकि WHO के पूरे निर्णय के बारे में पूरी जानकारी नहीं है।
चीन पर पूरे आंकड़े उपलब्ध न कराने का आरोप
गौरतलब है कि WHO प्रमुख ट्रेडोस ए. गेब्रेयेसस ने नोवेल पैथोजन (SAGO) की उत्पत्ति का पता लगाने के लिये वैज्ञानिक सलाहकार समूह का गठन करने की बुधवार को घोषणा की थी। इससे पहले, अप्रैल में एक रिपोर्ट में WHO ने कहा था कि ऐसी संभावना नहीं है कि कोरोना वायरस वुहान के लैब से लीक हुआ और संभावना है कि यह चमगादड़ों से फैला। इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद अमेरिका और कुछ अन्य देशों ने इस बात पर चिंता जताई थी कि चीनी प्रशासन WHO की टीम को पूरा आंकड़ा उपलब्ध नहीं करा रहा है।
‘जांच का समर्थन पर राजनीतिक जोड़तोड़ का विरोध’
वहीं, चीन ने कोरोना वायरस की उत्पति कि फिर से जांच करने को संभावित ‘राजनीतिक जोड़तोड़’ करार दिया। देश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि चीन ‘वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक रूप से इसका पता लगाने में सहयोग करेगा और इसमें भागीदारी निभाएगा और किसी भी तरह की राजनीतिक जोड़तोड़ का कड़ा विरोध करेगा। हमें उम्मीद है कि WHO सचिवालय सहित सभी संबंधित पक्ष और सलाहकार समूह निष्पक्ष एवं जवाबदेह वैज्ञानिक रूख अपनाएंगे।’ संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा प्रस्तावित विशेषज्ञों में कुछ ऐसे लोग शामिल हैं जो पहले की टीम में भी थे।