बीजिंग: भारत ने बुधवार को चीन के दूसरे क्षेत्र एवं सड़क (बेल्ट एंड रोड) फोरम का भी बहिष्कार करने के संकेत दिये। भारत का कहना है कि कोई देश ऐसी किसी मुहिम का हिस्सा नहीं हो सकता है जो मुहिम स्वायत्तता और क्षेत्रीय अखंडता की उसकी मुख्य आपत्तियों को नजरअंदाज करता हो। भारत ने 2017 में हुए पहले क्षेत्र एवं सड़क फोरम (बीआरएफ) का भी बहिष्कार किया था। भारत को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गालियारा (सीपीईसी) को लेकर आपत्ति है। सीपीईसी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। यह बेल्ड एंड रोड मुहिम का हिस्सा है।
चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स से कहा कि किसी भी संपर्क मुहिम (कनेक्टिविटी इनीशिएटिव) पर इस तरीके से अमल किया जाना चाहिये जो अन्य देशों की स्वायत्तता, समानता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता हो। उन्होंने दूसरे फोरम में भारत के भाग लेने के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘कोई देश ऐसी किसी मुहिम का हिस्सा नहीं हो सकता है जो मुहिम स्वायत्तता और क्षेत्रीय अखंडता की उसकी मुख्य आपत्तियों को नजरअंदाज करती हो।’’
मिसरी ने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो हमने कभी भी अपने विचार गोपनीय नहीं रखे और बेल्ट एंड रोड मुहिम को लेकर हमारी स्थिति स्पष्ट एवं मजबूत है। हमने संबंधित प्राधिकरणों को इससे अवगत भी कराया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘संपर्क को बेहतर बनाने के वैश्विक स्वप्न में भारत भी एक हिस्सेदार है और यह हमारी आर्थिक एवं राजनयिक पहलों का अभिन्न हिस्सा है। हम खुद अपने क्षेत्र में विभिन्न देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि हमारा यह भी मानना रहा है कि संपर्क की मुहिम वैश्विक स्तर पर मान्य अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों, बेहतर संचालन तथा कानून के दायरे में होना चाहिये। ये मुहिम निश्चित तौर पर सामाजिक स्थिरता, पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन, कौशल प्रवर्तन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर आधारित होनी चाहिये तथा इन्हें खुलापन, पारदर्शिता और वित्तीय टिकाउपन के सिद्धांतों का पालन करना चाहिये।’’ मिसरी ने भारत-चीन संबंधों के पटरी पर लौटने के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘दोनों देशों के आपसी द्विपक्षीय संबंध न केवल दोनों देशों के लिये बल्कि वृहद आर्थिक एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हित में है।’’