नई दिल्ली: भारत ने मालदीव की संसद द्वारा आपातकाल की अवधि और 30 दिन बढ़ाने पर बुधवार को गहरी निराशा जाहिर की। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, "मालदीव सरकार द्वारा आपातकाल की अवधि 30 दिन और बढ़ाने से हम काफी निराश हैं।" बयान के अनुसार, "जिस तरह से मालदीव के संविधान का उल्लंघन कर मजलिस (मालदीव की संसद) ने आपातकाल बढ़ाने की स्वीकृति दी है, वह चिंता का विषय है।"
बयान के अनुसार, "राजनीतिक प्रक्रिया की बहाली में लगातार देरी और लोकतांत्रित संस्थानों जैसे न्यायापालिका का संचालन लगातार स्थगित रहने से मालदीव में हालात सामान्य होने में समय लगने की संभावना है।" बयान के अनुसार, "यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतांत्रिक संस्थान संविधान के अनुसार साफ और पारदर्शी तरीके से चलें।"
राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कार्यालय से मंगलवार रात जारी दो बयानों में से एक के अनुसार, "देश की संसद ने आपातकाल 30 दिन और बढ़ाने की स्वीकृति दी है और यह केवल उनपर लागू होगा जो अवैध गतिविधि में संलिप्त हैं। यह उन लोगों पर लागू नहीं होगा जो कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं या मालदीव आने वाले आगंतुक हैं।"
मालदीव में आपातकाल अब 22 मार्च को समाप्त होगा।भारत ने इससे पहले कहा था कि उसे उम्मीद है कि मालदीव में आपातकाल को बढ़ाया नहीं जाएगा और राजनीतिक प्रक्रिया बहाल की जाएगी। यामीन ने चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब और नई दिल्ली में अपने दूत भेजे थे। भारत ने हालांकि मालदीव के विदेश मंत्री की अगवानी करने से इनकार कर दिया था।