वॉशिंगटन: अमेरिकी विशेषज्ञों को लगता है कि अपना 70वां स्वाधीनता दिवस मना रहा भारत विशक्ति बनकर उभरा है लेकिन उसे अब भी एक लंबा रास्ता तय करना है। भारत सफल रहा या विफल इस विषय पर बहस के बीच एक अमेरिकी थिंकटैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया के लिये सीनियर फैलो एलीशा एयर्स ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था उसे व्यापक वैश्विक महत्व और देश की सैन्य क्षमताओं के विस्तार तथा आधुनिकीकरण के लिये ऊर्जा दे रही है।
उन्होंने कहा कि भारत को हालांकि घरेलू मोर्चे पर अब भी काफी काम करना बाकी है। भारत अपने आर्थिक, मानव विकास और सामाजिक समानता लक्ष्यों को लगातार साध रहा है, इस सवाल पर मेरा अपना नजरिया है कि चीन की तरह भारत एक विशक्ति के तौर पर उभर रहा है भले ही घरेलू मोर्चे पर अब भी कई अधूरे काम बचे हुये हैं।
फोर्ब्स वेबसाइट पर पोस्ट किए गए अपने लेख में एयर्स ने कहा, लेकिन इसी के साथ पिछले करीब एक दशक के दौरान भारत दुनिया भर में विदेश और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति में एक बड़ा कारक बन गया है।
द सीफर ब्रीफ में पश्चिम एशिया और अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र विश्लेषक फ्रिट्ज लॉज ने भारतीय स्वाधीनता दिवस के मौके पर लिखे एक लेख में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा आबादी वाले इस देश को उसके कद के मुताबिक आर्थिक, सैन्य और भूराजनीतिक शक्ति के तौर पर स्थापित करने के लिये अपने सपनों के साथ आगे बढ़ रहे हैं।