बीजिंग: भारत और चीन ने डोकलाम गतिरोध के बाद सीमा विचार-विमर्श एवं समन्वय तंत्र पर अपनी पहली बैठक की और अपनी सीमा के सभी सेक्टरों में हालात की समीक्षा की। दोनों पक्षों ने विश्वास बहाली उपायों एवं सैन्य संपर्कों को बढ़ाने पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया कि भारत-चीन सीमा मामलों पर विचार-विमर्श एवं समन्वय के कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) का 10वां दौर बीजिंग में आयोजित हुआ। भारत-चीन के सीमाई इलाकों में अमन-चैन कायम रखने के लिए विचार-विमर्श एवं समन्वय के संस्थागत तंत्र के तौर पर डब्ल्यूएमसीसी की स्थापना 2012 में हुई थी।
सीमा पर बार-बार होने वाली घुसपैठ से पैदा होने वाले तनाव से निपटने और सीमा सुरक्षा कर्मियों के बीच संवाद सहित संचार एवं सहयोग को मजबूत करने को लेकर विचारों के आदान-प्रदान के लिए इसकी स्थापना हुई थी। भारत-चीन सीमा विवाद के दायरे में 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत कह कर उस पर अपना दावा ठोंकता है जबकि भारत जोर देकर कहता है कि अक्साई चिन का इलाका इस विवाद के दायरे में है। साल 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने अक्साई चिन इलाके पर कब्जा कर लिया था।
प्रेस रिलीज के मुताबिक, आज की बातचीत रचनात्मक रही और इसमें आगे की राह पर चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा के सभी सेक्टरों के हालात की समीक्षा की और इस बात पर सहमत हुए कि सीमाई इलाकों में अमन-चैन द्विपक्षीय संबंधों के सतत विस्तार की पूर्व शर्त है। दोनों पक्षों ने विश्वास बहाली उपायों एवं दोनों देशों के सैन्य संपर्कों को मजबूत करने को लेकर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) प्रणय वर्मा और चीन के एशियाई मामलों के विभाग के महानिदेशक श्याओ कियान के बीच यह बातचीत हुई। सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में 72 दिनों तक चले गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली ऐसी वार्ता थी।