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बौखलाई चीनी मीडिया ने कहा, भारत और जापान मिलकर चीन को चुनौती नहीं दे सकते

भारत और जापान के बीच मजबूत हो रहे संबंधों के बीच चीनी मीडिया एक बार फिर बौखला गया है...

Reported by: IANS
Updated : September 14, 2017 19:24 IST
Shinzo Abe, Narendra Modi and Xi Jinping
Shinzo Abe, Narendra Modi and Xi Jinping | AP Photo

बीजिंग: जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा को लेकर चीन के एक दैनिक अखबार ने कहा है कि नई दिल्ली और तोक्यो के बीच इस घनिष्ठ संबंधों से बीजिंग को कई 'गंभीर खतरा' नहीं है। चीन, भारत और जापान के बीच बढ़ती निकटता से हमेशा होशियार रहा है, चीन का दोनों देशों के साथ क्षेत्रीय विवाद है। सरकार द्वारा संचालित चीनी मीडिया भारत और जापान के बीच तेजी से विकास संबंधों को बढ़ता देख अक्सर गंभीर हो जाता है। ग्लोबल टाइम्स के एक ओप-एड ने कहा, ‘भारत-जापान की दोस्ती एक युक्ति से काफी ज्यादा है और दोनों के द्वारा एक गंभीर विचार दिए बिना चीन को चुनौती दिए जाने की संभावना नहीं है।’

चीनी मीडिया में कहा गया, ‘चीन को विश्वास है कि कोई भी एशियाई देश चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती नहीं दे सकता और न ही वे एक साथ समूह बना सकते हैं। चीन एशिया में आर्थिक सहयोग के मुख्य केंद्र में रहा है। भू-राजनीति के भू-आर्थिक स्थिति के खिलाफ जाने की संभावना नहीं है।’ पिछले 3 साल में मोदी और आबे के बीच यह 10वीं बैठक है। इस बार मोदी ने जापानी नेता को अहमदाबाद में आमंत्रित किया। 2015 में, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गुजरात के इस शहर का दौरा किया था, जहां पहले मोदी मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। दोनों नेताओं द्वारा अपने देश की रक्षा और सुरक्षा संबंधों को बढ़ाए जाने की संभावना है। 

साथ ही US-2 एम्फिबियस विमान की बिक्री का मुद्दा भी सामने आ सकता है। पिछले साल चीन ने इन विमानों की बिक्री भारत को किए जाने की संभावना पर गुस्सा जाहिर किया था। लेख में कहा गया है, ‘ऐसा करने से भारतीय रणनीतिक सर्कल की कमजोर भावना चीन के सामने उजागर हो गई है।’ उन्होंने कहा, ‘भारत, अमेरिका और जापान के साथ गठबंधन कर चीन को अपनी रणनीतिक क्षमता दिखाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता है। यह कदम भारतीय समाज की मानसिकता की हताश जरूरतों के अनुरूप है।’

लेख में कहा गया है कि, ‘चीन का जापान और भारत के साथ विशाल व्यापार भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय व्यापार पर दबदबा रखता है। यह देखते हुए, तोक्यो और नई दिल्ली इस गंभीर विचार को देखते हुए चीन को चुनौती नहीं दे सकते है।’ दैनिक अखबार ने कहा, ‘चीन भारत के साथ विशिष्ट समस्याओं पर असहमत होने पर भी समस्याओं का समाधान करना चाहता है। चीन सक्रिय रूप से भारत या जापान के साथ रणनीतिक टकराव नहीं चाहता।’

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