विश्व बैंक ने आज कहा कि सिंधु जल संधि के तहत भारत को झेलम और चेनाब नदियों की सहायक नदियों पर कुछ शर्तों के साथ पनबिजली विद्युत संयंत्रों के निर्माण की अनुमति दे दी गई है। विश्व बैंक के कहा है कि सिंधु नदी जल संधि को लेकर भारत एवं पाकिस्तान के बीच सद्भावना एवं सहयोग की भावना के साथ वार्ता हुई और दोनों पक्षों ने इस मामले पर वार्ता जारी रखने के लिए यहां सितंबर में फिर से बैठक करने पर सहमति व्यक्त की है। ('योग्यता पर हो महिलाओं की नियुक्ती ना कि बच्चा पैदा करने वाली योजनाओं के आधार पर')
आईडब्ल्यूटी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सचिव स्तर की बातचीत खत्म होने पर जारी एक फैक्ट शीट में कहा गया है कि पाकिस्तान किशनगंगा (330 मेगावॉट) और रातले (850 मेगावॉट) पनबिजली विद्युत संयंत्रों के निर्माण का विरोध कर रहा है। इन संयंत्रों का निर्माण भारत कर रहा है। दोनों संयंत्रों के तकनीकी डिजाइन संधि के प्रतिकूल है या नहीं, इस बात को लेकर दोनों देश असहमत हैं। इस संदर्भ में आईडब्ल्यूटी ने इन दोनों नदियों और सिंधु को ‘पश्चिमी नदियां’ घोषित किया है, जिसका पाकिस्तान असीमित इस्तेमाल कर सकता है।
फैक्ट शीट में विश्व बैंक ने कहा है, 'अन्य इस्तेमालों के साथ-साथ भारत संधि के अनुलग्नक में शामिल शर्तों को ध्यान में रखते हुए इन नदियों पर पनबिजली विद्युत संयंत्र का निर्माण कर सकता है।' हालांकि विश्वबैंक ने और कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी। इससे पहले विश्व बैंक ने 25 जुलाई को पत्र लिखकर अमेरिका में भारत के राजदूत नवतेज सरना को आासन दिया था कि वह इस मामले में अपनी तटस्थता और निष्पक्षता को बरकरार रखेगा, ताकि सुलह का रास्ता खोजा जा सके। इससे पहले दोनों देशों ने पाकिस्तान में स्थायी सिंधु आयोग पीआईसी की बैठक के दौरान इस वर्ष मार्च में दो परियोजनाओं पर वार्ता की थी।