नई दिल्ली. अफगानिस्तान से अमेरिका बाहर हो चुका है और तालिबान की वापसी हो चुकी है, लेकिन अभी तक अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को एक बार भी फोन नहीं किया है। जो बाइडेन को अमेरिका का राष्ट्रपति बने हुए लगभग 7 महीने हो चुके हैं और तभी से इमरान खान उनके फोन का इंतजार कर रहे हैं लेकिन अफगानिस्तान में हुए इतने बड़े बदलाव के बावजूद जो बाइडेन ने इमरान खान को एक बार भी फोन नहीं किया है।
मंगलवार को अफगानिस्तान के हालात पर इमरान खान को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने फोन किया था और पाकिस्तान के सरकारी मीडिया में बढ़चढ़कर इस बात को बताया गया। बोरिस जॉनसन के अलावा इमरान खान को डेनमार्क के राष्ट्र अध्यक्ष ने भी फोन किया था और उसे भी पाकिस्तान के मीडिया ने बढ़चढ़कर बताया है। ब्रिटेन के अलावा जर्मनी की चांसलर ऐंजला मार्केल ने भी उनको फोन किया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान के हालात पर सोमवार को इमरान खान को फोन करने के बजाय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को फोन किया। व्हाइट हाउस ने कहा कि सोमवार को हुई बातचीत में बाइडन और जॉनसन ने युद्धग्रस्त देश से अपने देश तथा सहयोगी देशों के नागरिकों को निकालने के लिए काम कर रहे ‘‘अपने सैन्य और असैन्य कर्मियों की वीरता तथा पेशेवराना अंदाज की तारीफ की।’’
व्हाइट हाउस ने बताया कि दोनों नेता अफगानिस्तान को भविष्य में मदद और सहयोग देने के बारे में सहयोगी देशों के साथ करीबी समन्वय करने की आवश्यकता पर राजी हुए। जॉनसन के पास जी-7 समूह की अध्यक्षता है और व्हाइट हाउस ने कहा कि वह अफगानिस्तान में आगे के कदम पर चर्चा करने के लिए अगले हफ्ते समूह की ऑनलाइन बैठक बुलाएंगे।
दरअसल अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी को पाकिस्तान अपनी बड़ी सफलता मान रहा है। हालांकि दुनिया के सामने वह यही कह रहा है कि उसका तालिबान से कोई लेना देना नहीं है लेकिन पूरी दुनिया जानती है कि तालिबान को पाकिस्तान का ही समर्थन मिला हुआ है।
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों के दौरान अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का मुद्दा जोर शोर से उठा था और डोनाल्ड ट्रंप तथा जो बाइडेन ने वादा किया था कि जल्द से जल्द सैनिकों की वापसी कराई जाएगी। पाकिस्तान और इमरान खान को उम्मीद थी कि नए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी के लिए पाकिस्तान के साथ बात करेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, अमेरिका ने वहां से अपने सारे सैनिक वापस बुला लिए तथा अफगानिस्तान में फिर से तालिबान की वापसी हो गई और इसके बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति ने इमरान खान को फोन तक नहीं किया।