नई दिल्ली. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दो दिवसीय श्रीलंका यात्रा पर जा रहे हैं। इमरान की इस यात्रा के शुरू होने से पहले ही श्रीलंका ने उन्हें बड़ा झटका दिया है। श्रीलंका की सरकार ने वहां की संसद में होने वाला इमरान खान का भाषण रद्द कर दिया है। दरअसल इमरान भले ही अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों और उच्च स्तर के कारोबारी प्रतिनिधिमंडल के साथ दोनों देशों को करीब लाने की कोशिशें करने की बाते करते हों लेकिन श्रीलंका भारत के महत्व से अच्छी तरह से वाकिफ है। इसलिए श्रीलंका ने अपनी आदतों से मजबूर पाकिस्तान के बयानवीर पीएम इमरान खान के श्रीलंकाई संसद में होने वाले भाषण को रद्द कर दिया है।
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Colombo Gazette की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी कर्ज के नीचे दबी लंका की सरकार मददगार भारत से किसी भी सूरत में जरा सी नाराजगी भी मोल लेना नहीं चाहती है, इसलिए उसने ये कदम उठाया है। भारत ने हाल ही में कोरोना के खिलाफ जंग में श्रीलंका को 5 लाख वैक्सीन दी हैं। पिछले कुछ महीनों में, श्रीलंका में मुस्लिम विरोधी भावनाएं पैदा हुई हैं क्योंकि बौद्ध लोग मस्जिदों में जानवरों की बलि जैसे मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं।
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ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इमरान श्रीलंका में भी मुस्लिम कार्ड खेल सकते हैं, जैसा उन्होंने पिछले साल अफगानिस्तान की यात्रा के दौरान किया था। वो संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल भी मुस्लिमों के हीरो बनने के लिए कर चुके हैं। पाकिस्तान में बुरी तरह फेल हो चुके इमरान श्रीलंका में ऐसा कुछ न करें, जिससे वहां की सरकार की परेशानी बढ़े, ऐसे में इमरान का भाषण रद्द कर दिया गया। अक्टूबर 2020 में भी इमरान ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन द्वारा एक इस्लामी कट्टरपंथी द्वारा एक शिक्षक की हत्या पर चिंता व्यक्त करने के बाद मुस्लिम-बहुल देशों से विरोध करने का आग्रह किया था।
रिपोर्ट में कहा गया कि पिछली घटनाओं को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि इमरान खान को बोलने के लिए संसद जैसा मंच देना 'मौत के साथ जुआ खेलने' जैसा साबित हो सकता है। इमरान इस मंच का उपयोग न सिर्फ भारत के खिलाफ अपना एजेंडा फैलाने के लिए बल्कि श्रीलंका के बौद्ध समुदाय और वहां की सरकार की इंटरनेशल लेवल पर फजीहत करवाने के लिए भी कर सकते हैं। अपने इस रिपोर्ट में लेखक ने कहा है कि जिस तरह से इमरान खान ने श्रीलंकाई मुस्लिम नेता के अनुरोधों का जवाब दिया, उससे यह स्पष्ट हो गया था कि वह संसद के भाषण के दौरान मुस्लिमों से जुड़े मुद्दे उठाएंगे।
बता दें कि कुछ समय पहले ही All-Ceylon Makkal Congress के नेता रिशद बद्दरुद्दीन ने पाकिस्तान सरकार से अनुरोध किया था कि COVID-19 के कारण मारे गए लोगों के लिए श्रीलंका सरकार की अंतिम संस्कार की नीति के मामले में हस्तक्षेप करे। जिसके बाद इमरान ने श्रीलंका के इस अंदरुनी विषय पर सार्वजनिक रुप से बयान दिया था। हालांकि गौर करने वाली बात ये है कि एक तरफ जहां इमरान सारी दुनिया में इस्लाम का चैंपियन बनने के लिए मुस्लिमों के साथ हो रहे व्यवहार की बात करते हैं, लेकिन हीं दूसरी तरफ, महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता लगातार बिगड़ रही है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को दूसरे दर्जे के नागरिक माना जाता है। इसके अलावा, पाकिस्तान में कई बौद्ध विरासत स्थलों को हाल ही में ध्वस्त कर दिया गया था। Organisation of Islamic Cooperation ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रस्ताव को लेने से इंकार करने के बाद, इमरान खान मुस्लिम देशों से समर्थन पाने और खुद को मुस्लिम दुनिया के चैंपियन के रूप में चित्रित करने के लिए बेताब हो गए हैं। इसके बीच, श्रीलंकाई संसद में इमरान खान को मंच न देने के फैसले के बाद इमरान खान हताश और निराश हो गए हैं।
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