इस्लामाबाद: इमरान खान सरकार की ओर से सिंध द्वीपों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए लाए गए प्रेसिडेंशियल ऑर्डिनेंस की वजह से पाकिस्तान में राजनीति गर्मा गई है। विपक्ष ने इसे चीन द्वारा 'अवैध कब्जा' करार दिया है। क्षेत्रफल के हिसाब से पाकिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा प्रांत सिंध, पूर्व में भारत के गुजरात और राजस्थान राज्यों और दक्षिण में अरब सागर तक फैला हुआ है। सिंध तटीय क्षेत्र में लगभग 300 छोटे और बड़े द्वीप हैं।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने एक सितंबर को 'पाकिस्तान के आंतरिक और क्षेत्रीय जल में द्वीपों के विकास और प्रबंधन' के लिए 'पाकिस्तान द्वीप विकास प्राधिकरण' की स्थापना के लिए अध्यादेश लाने का वादा किया था। अध्यादेश, जिसे किसी भी पाकिस्तानी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती, सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी विपक्षी दलों द्वारा प्रसारित एक प्रति के अनुसार, द्वीपों पर शहरों के विकास के लिए लाया गया है।
सिंध आधारित राजनीतिक दलों, नागरिक समाज संगठनों और साथ ही पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेतृत्व वाली सिंध सरकार ने इस कदम की निंदा की है और इसे सिंध की भूमि पर अतिक्रमण करने का प्रयास करार दिया है। पीपीपी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, "पीपीपी, पीटीआई सरकार की ओर से राष्ट्रपति अध्यादेश के माध्यम से सिंध के द्वीपों के अवैध कब्जे का विरोध करेगी। मैं पूछता हूं कि मोदी के कब्जे वाले कश्मीर के कार्यों से यह कैसे अलग है। इस कदम का राष्ट्रीय, प्रांतीय विधानसभा और सीनेट में विरोध किया जाएगा।"
सोशल मीडिया पर कई सिंधी कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि पाकिस्तान चीन को भुंदर-डिंगी जुड़वां द्वीप (12,000 एकड़ से अधिक भूमि) बेच रहा है। सिंधी कार्यकर्ता जफर साहितो ने एक लेख में लिखा है कि सिंध सरकार की अनुमति के बिना संघीय सरकार के पास सिंध के द्वीपों पर किसी भी चीज को नियंत्रित करने या निर्माण करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने 2019 में अपनी चीन यात्रा के दौरान, डायमर भाषा बांध, जो अब चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) का हिस्सा है, उसे लेकर और सिंध जुड़वां द्वीपों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की थी।
उन्होंने दावा किया कि हांगकांग जैसे महानगरों के निर्माण के लिए चीन की ओर से इन जुड़वां द्वीपों में निवेश करने की संभावना है। सिंध में पहले से ही कई चीनी कंपनियां काम कर रही हैं, जिनमें पोर्ट कासिम प्राधिकरण, कराची स्टॉक एक्सचेंज और ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं। उन्होंने दावा किया कि चीन कराची की स्टील मिल भी खरीदना चाहता है।
सिंधी कार्यकर्ता ने कहा कि पीपीपी की पूर्व प्रमुख बेनजीर भुट्टो ने 2007 में जनरल परवेज मुशर्रफ के शासन के दौरान द्वीपों पर कब्जा करने के फैसले के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की थी। मगर पीपीपी, राष्ट्रीय दलों और नागरिक समाज संगठनों के विरोध के बाद सरकार को यह निर्णय वापस लेना पड़ा था।