इस्लामाबाद: पिछले महीने इस्लामाबाद के अधिकारियों से बचकर अमेरिका पहुंची पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल ने अमेरिका से राजनीतिक शरण देने का अनुरोध किया है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। डॉन न्यूज ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट में द न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से लिखा कि 32 वर्षीय गुलालाई इस समय अपनी बहन के साथ न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में रह रही है।
उन्होंने खुलासा नहीं किया कि वह देश छोड़ने में कैसे कामयाब रही। उन्होंने समाचार पत्र से कहा, "मैं आपको और नहीं बता सकती..मेरे वहां से निकलने की कहानी कई लोगों की जिंदगी को जोखिम में डाल देगी।"
डॉन के अनुसार, नवंबर 2018 में इस्लामाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया गया था कि इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने विदेश में गुलालाई इस्माइल की कथित देश विरोधी गतिविधियों के लिए उनका नाम एक्जिट कंट्रोल लिस्ट (ईसीएल) में डालने की सिफारिश की थी।
इस्माइल द्वारा ईसीएल में अपना नाम डालने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका के बाद, इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने उसका नाम सूची से हटाने का आदेश दिया था। अदालत ने, हालांकि, आंतरिक मामलों के मंत्रालय को आईएसआई द्वारा की गई सिफारिशों के संदर्भ में, उनके पासपोर्ट को जब्त करने सहित उचित कार्रवाई करने की अनुमति दी थी।
डॉन ने समाचार पत्र के हवाले से कहा, "सुरक्षा सेवाओं ने देश के हर कोने में उनकी तलाश की, उनके दोस्तों के घरों पर छापा मारा और उनके परिवार पर भी नजर बनाए रखा।" रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्माइल अभी भी इस्लामाबाद में रह रहे अपने माता-पिता के बारे में चिंतित हैं, "जो आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय मदद देने के आरोप और कड़ी निगरानी का सामना कर रहे हैं।"
हाल के दिनों में, वह कथित तौर पर अमेरिका में विभिन्न मानवाधिकार रक्षकों और कांग्रेस नेताओं के स्टाफ से मिली हैं। इस्माइल ने वॉयसेज फॉर पीस एंड डेमोक्रेसी नाम का एक शोध और एडवोकेसी ग्रुप समूह लॉन्च किया है जिसका उद्देश्य दुनिया के संघर्ष-प्रभावित क्षेत्रों में महिलाओं की रक्षा करना है।
इस्माइल ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा यौन शोषण की घटनाओं को उजागर करने की कोशिश की थी। देश की महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ गुलालाई द्वारा छेड़े गए युद्ध की वजह से उसपर देशद्रोह के आरोप लगाए गए। महिला कार्यकर्ताओं के एक समुह ने इमरान खान को चिट्ठी लिखकर इस्माइल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील भी की थी।
दरअसल, इस्माइल की मुश्किलें इमरान खान के सत्ता में आने के एक साल बाद शुरू हुई। पश्तून तहफ्फुज आंदोलन (पीटीएम) की कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल पर आतंकवाद निरोधी कानूनों के तहत देशद्रोह का आरोप लगाया गया। इस्माइल ने पिछले महीने फरिश्ता मोहम्मद की हत्या के लिए अधिकारियों की भूमिका को उजागर करने के लिए विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था, फरिश्ता मोहम्मद का शव इस्लामाबाद के वुडलैंड में मिला था। 27 मई को राज्य विरोधी भाषणों के मामले में इमरान सरकार ने इस्माइल को ब्लैकलिस्ट कर दिया था।