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पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों पर बड़ा खुलासा, खुल गई इमरान के दावों की पोल

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के बनाए आयोग ने अपनी रिपोर्ट में एक बार फिर से खुलासा कर दिया है कि वहां हिंदुओं की क्या स्थिति है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पाक में हिंदू समुदाय के अधिकतर धार्मिक स्थल खराब हालत में हैं और उनके रख-रखाव के लिये जिम्मेदार प्राधिकरण अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 08, 2021 18:28 IST
Hindu Temples Condition Pakistan Supreme Court Committee Report- India TV Hindi
Image Source : AP पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के बनाए आयोग ने अपनी रिपोर्ट में एक बार फिर से खुलासा कर दिया है कि वहां हिंदुओं की क्या स्थिति है।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के बनाए आयोग ने अपनी रिपोर्ट में एक बार फिर से खुलासा कर दिया है कि पाक में हिंदुओं की क्या स्थिति है। आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के अधिकतर धार्मिक स्थल खराब हालत में हैं और उनके रख-रखाव के लिये जिम्मेदार प्राधिकरण अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा है। हाल ही में पेश की गई एक रिपोर्ट में ये बातें कही गई हैं। 'द डॉन' की खबर के अनुसार एक सदस्यीय आयोग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पांच फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई, जिसमें देश में समुदाय के अधिकतर धार्मिक स्थलों की खस्ताहालत के बारे में बताया गया है। रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि इन स्थलों के रखरखाव के लिये जिम्मेदार इवैक्वी ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकतर प्राचीन एवं पवित्र स्थलों के रख-रखाव में नाकाम रहा है। 

खबर में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर शोएब सडल के एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। इसमें तीन सहायक सदस्यों डॉक्टर रमेश वंकवानी, साकिब जिलानी और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल शामिल थे। उन्हें आयोग की तथ्यान्वेषी गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिये उप अटॉर्नी जनरल नामित किया गया था। आयोग के सदस्यों ने छह जनवरी को चकवाल में कटास राज मंदिर और सात जनवरी को मुल्तान में प्रह्लाद मंदिर का दौरा किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि टेर्री मंदिर (करक), कटास राज मंदिर (चकवाल), प्रह्लाद मंदिर (मुल्तान) और हिंगलाज मंदिर (लसबेला) की हालत सुधारने के लिये लिये संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। 

रिपोर्ट में हिंदू और सिख समुदाय से संबंधित पवित्र स्थलों के पुनर्वास के वास्ते एक कार्यसमूह बनाने के लिये ईटीपीबी अधिनियम में संशोधन करने का भी सुझाव दिया गया है। इस रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह ईटीपीबी का निर्देश दे कि वह खस्ताहाल टेर्री मंदिर/समाधि के पुनर्निर्माण में हिस्सा ले और समय-समय पर शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए निर्देशों के कुशल कार्यान्वयन के लिए खैबर पख्तूनख्वा सरकार के साथ सहयोग करे। दिसंबर में, खैबर पख्तूनख्वा के करक जिले में टेर्री गांव में कट्टरपंथी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी (फज्ल-उर-रहमान समूह) के सदस्यों ने एक मंदिर में आग लगा दी थी। 

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के नेताओं ने मंदिर पर हमले की कड़ी निंदा की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसके पुनर्निर्माण का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पांच जनवरी के अपने आदेश में ईटीपीबी को निर्देश दिया था कि वह पूरे पाकिस्तान के उन सभी मंदिरों, गुरुद्वारों और अन्य धार्मिक स्थलों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे जो उसके दायरे में आते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ईटीपीबी पत्र के अनुसार वह 365 मंदिरों में से केवल 13 का प्रबंधन देख रहा है जबकि 65 धार्मिक स्थलों की जिम्मेदारी हिंदू समुदाय के पास है जबकि शेष 287 स्थल भूमाफियाओं के कब्जे में हैं।

बता दें कि पाकिस्‍तान को रियासत-ए-मदीना बनाने का वादा करके सत्‍ता में आए पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान नियाजी का यह 'नया पाकिस्‍तान' धार्मिक रूप से अल्‍पसंख्‍यकों के लिए 'काल' बन गया है। सेंटर फॉर सोशल जस्टिस के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्‍तान में ईशनिंदा कानून का दुरुपयोग बेतहाशा बढ़ा है। संस्‍था ने कहा कि वर्ष 1987 से लेकर दिसंबर 2020 के बीच कम से कम 1855 लोगों को इस काले कानून का शिकार बनाया गया है।

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