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हिंदू बहनों से नहीं कराया गया जबरन धर्मांतरण, वे रह सकती हैं पतियों के साथ: पाक अदालत

पाकिस्तान के एक उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि दो हिंदू किशोरवय बहनों को जबर्दस्ती मुसलमान नहीं बनाया गया और उसने उन्हें अपने पतियों के साथ रहने की इजाजत दी।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: April 11, 2019 17:54 IST
Pakistan Supreme Court- India TV Hindi
Pakistan Supreme Court

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के एक उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि दो हिंदू किशोरवय बहनों को जबर्दस्ती मुसलमान नहीं बनाया गया और उसने उन्हें अपने पतियों के साथ रहने की इजाजत दी। दो लड़कियां रवीना (13) और रीना (15) तथा उनके पतियों ने पुलिस के कथित उत्पीड़न के खिलाफ इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उससे कुछ दिन पहले इन लड़कियों के पिता और भाई ने आरोप लगाया था कि ये लड़कियां कम उम्र हैं और अगवा कर उनका जबर्दस्ती धर्मांतरण करा दिया गया एवं उनकी मुसलमान व्यक्तियों से शादी करा दी गयी। 

डॉन की खबर है कि अपनी अर्जी में लड़कियों ने दावा किया कि वे घोटकी (सिंध) के एक हिंदू परिवार से जरूर हैं लेकिन उन्होंने इस्लामिक उपदेशों से प्रभावित होकर अपना धर्म बदला। लेकिन इन लड़कियों के अभिभावकों के वकील ने कहा कि यह जबरन धर्मांतरण का मामला है। मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्लाह ने इस बात की जांच के लिए पांच सदस्यीय आयोग बनाया कि क्या इन दोनों हिंदू बहनों का जबरन धर्मांतरण कराया गया या मामला फिर कुछ और है। 

खबर के अनुसार मानवाधिकार मंत्री शिरीन माजरी, प्रख्यात मुस्लिम विद्वान मुफ्ती ताकी उस्मानी, पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष डॉ मेहदी हसन, राष्ट्रीय महिला दर्जा आयोग खवार मुमताज और मशहूर पत्रकार एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता आई रहमान वाले इस आयोग मामले की जांच की और वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि यह जबरन धर्मांतरण नहीं है। 

इन दोनों बहनों को होली के मौके पर प्रभावशाली व्यक्तियों के एक समूह ने सिंध के घोटकी जिले में उनके घर से कथित रूप से अगवा कर लिया। अपहरण के शीघ्र बाद एक वीडियो सामने आया था जिसमें एक मौलवी दोनों का कथित रूप से निकाह कराते हुए नजर आ रहा था। इस पर पूरे देश में आक्रोश फैला था। प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस बात की जांच का आदेश दिया कि क्या वाकई दोनों का अपहरण और उनका जबरन धर्मांतरण कराया गया। जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस घटना पर पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त से ब्योरा मांगा तब उनके और पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया।

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