पेशावर (पाकिस्तान): पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में हिंदू समुदाय ने एक सदी पुराने मंदिर को तोड़ने और आग लगाने वाली भीड़ को माफ करने का फैसला किया है। विवाद को सुलझाने के लिए स्थानीय मौलवियों और हिंदू समुदाय के सदस्यों ने शनिवार को एक बैठक की थी। आपोरियों ने मंदिर पर हुए इस हमले तथा 1997 में हुई ऐसी ही एक और घटना के लिए माफी मांगी है।
हिंदू समुदाय ने आरोपियों को माफ करने का फैसला कर लिया है। दोनों पक्षों में सहमति बन गई है। मौलवियों ने देश के संविधान के अनुसार हिंदुओं और उनके अधिकारों को पूर्ण सुरक्षा का आश्वासन दिया है। अब आरोपियों को हिरासत से रिहा कराने के लिए बैठक में हुई सुलह को उच्चतम न्यायालय में सामने पेश किया जाएगा। उच्चतम न्यायालय में सुलह बयान दर्ज कराया जाएगा।
पिछले साल 30 दिसंबर को कुछ स्थानीय मौलवियों और कट्टरपंथी इस्लामवादी पार्टी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के सदस्यों की अगुवाई में एक भीड़ ने मंदिर और पास के 'समाधि' स्थल में तोड़फोड़ कर आग लगा दी थी। यह घटना खैबर पख्तूनख्वा के करक जिले के टेरी गांव में हुई थी। मामले में करीब 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। घटना की एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी।
स्थानीय उलेमा के साथ बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के चेयरमैन रमेश कुमार ने कहा कि इस घटना ने दुनिया भर में हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है। कुमार ने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री महमूद खान ने 'जिरगा' कार्यवाही की अध्यक्षता की। इस मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए उनका धन्यवाद।
गौरतलब है कि ऐसी बैठक को अनौपचारिक रूप से 'जिगरा' कहते हैं। मुख्यमंत्री महमूद खान ने 'जिरगा' के सदस्यों को अपने संबोधन में इस हमले की कड़ी निंदा की और इसे प्रांत में शांतिपूर्ण वातावरण को भंग करने का प्रयास बताया। इससे पहले मामले में भारत ने भी कड़ा विरोध दर्ज कराया था।
(इनपुट- PTI)