काबुल: अफगानिस्तान के तकरीबन आधे बच्चे सुरक्षा के बिगड़ते हालात, गरीबी और लैंगिक भेदभाव की वजह से स्कूल नहीं जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में आज बताया गया कि स्कूल से वंचित बच्चों की संख्या 2002 के बाद से सर्वाधिक है। अमेरिका के नेतृत्व वाली सेना ने एक साल पहले देश से तालिबान का शासन खत्म कर दिया था। गौरतलब है कि तालिबान ने लड़कियों के स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
लड़कियों के औपचारिक शिक्षा से वंचित होने की अधिक आशंका रहती है। 7 से 17 साल के 37 लाख बच्चों में से 60 फीसदी स्कूल नहीं जा पाते हैं। यह आंकड़ा कुछ बुरी तरह प्रभावित प्रांतों में बढ़कर 85 फीसदी तक पहुंच गया है। यह बेहद दकियानूसी मुस्लिम देश के कुछ हिस्सों में लैंगिक आधार पर व्यापक भेदभाव को दर्शाता है। बाल विवाह और महिला शिक्षकों की कमी भी लड़कियों को स्कूलों से दूर रखने की महत्वपूर्ण वजहों में से एक है।
यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रंस फंड (यूनिसेफ) की रिपोर्ट के अनुसार इस साल के अंत तक 3 लाख बच्चों के पढ़ाई छोड़ने का खतरा है। यूनिसेफ अफगानिस्तान के प्रतिनिधि अडेले खोड्र ने बताया कि जिन बच्चों के स्कूल छोड़ने का सर्वाधिक खतरा है उनमें से ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और विस्थापन, असुरक्षा और स्कूल सुविधा के अभाव का सामना करते हैं।